Independence Day 2025: भगवद गीता के दृष्टिकोण से जानिए सच्ची आजादी क्या है?

15 अगस्त पर जहां हम राजनीतिक आजादी का जश्न मनाते हैं, वहीं भगवद गीता आत्मिक स्वतंत्रता की बात करती है। तो आइए जानते हैं कि गीता के अनुसार अंतिम स्वतंत्रता है क्या है? पढ़ें यहां….

Updated : 14 August 2025, 6:50 PM IST
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New Delhi: भारत इस वर्ष 15 अगस्त 2025 को अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1947 में देश ने अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। परंतु सवाल यह है कि क्या सिर्फ राजनीतिक या बाहरी आजादी ही पूर्ण स्वतंत्रता कहलाती है? भगवद गीता के दृष्टिकोण से देखें तो स्वतंत्रता का अर्थ कहीं गहरा और व्यापक है।

गीता ज्ञान के अनुसार, स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ आत्मा की मुक्ति है- वह मुक्ति जो हमें मानसिक बंधनों, वासनाओं, भय, क्रोध, मोह, लालच और अहंकार से आज़ाद करती है। गीता के उपदेश केवल युद्धभूमि तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में लागू होते हैं- चाहे वह आत्मनिर्भरता की बात हो या आत्म-नियंत्रण की।

मानसिक बंधनों से मुक्ति ही सच्ची आजादी

गीता श्लोक 2.47 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन..." यह श्लोक सिखाता है कि फल की चिंता छोड़कर कर्म करने से हम मानसिक बोझ से मुक्त हो जाते हैं। जब हम अपेक्षाओं से ऊपर उठ जाते हैं, तब ही हम मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं।

इंद्रियों पर नियंत्रण और आत्मवशता

गीता श्लोक 2.64 में श्रीकृष्ण कहते हैं- "रागद्वेषवियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन्..." जो व्यक्ति राग-द्वेष से मुक्त होकर इंद्रियों को नियंत्रित करता है, वही सच्ची शांति और आंतरिक स्वतंत्रता प्राप्त करता है।

Independence Day 2025 Gita Wisdom

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

आत्मज्ञान से परम स्वतंत्रता

गीता श्लोक 4.39 में श्रीकृष्ण कहते हैं- "श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः..." श्रद्धा और संयम से युक्त व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त करता है, और आत्मज्ञान से उसे परम शांति एवं स्वतंत्रता मिलती है- यह स्वतंत्रता किसी भी बाहरी सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण है।

मोक्ष: अंतिम स्वतंत्रता

गीता 8.15 में श्रीकृष्ण कहते हैं- "मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।" जो मेरी प्राप्ति करता है, वह जन्म-मरण के दुखद चक्र से मुक्त हो जाता है- यही अंतिम स्वतंत्रता है, जिसे मोक्ष कहते हैं।

सामाजिक दृष्टिकोण से स्वतंत्रता

गीता यह भी सिखाती है कि स्वार्थ, क्रोध, मोह और भय से मुक्त होकर जब व्यक्ति समाज कल्याण के लिए कार्य करता है, तब ही वह सच्चे अर्थों में स्वतंत्र होता है।

स्वतंत्रता केवल राजनीतिक या भौतिक बंधनों से मुक्ति नहीं है, बल्कि आत्मा की उच्चतर अवस्था में पहुंचना- यही भगवद गीता के अनुसार असली आजादी है। 15 अगस्त जैसे पर्व पर हमें न केवल देश के लिए बल्कि आत्मिक रूप से भी स्वतंत्र होने का संकल्प लेना चाहिए।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 14 August 2025, 6:50 PM IST

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