प्रदर्शनकारी नेताओं को कितनी देर रख सकते हैं हिरासत में? जानें पूरा कानून

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी के आरोपों को लेकर विपक्षी INDIA गठबंधन के सांसदों ने आज संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकाला। मार्च के दौरान पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोकने की कोशिश की, जिस पर नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 11 August 2025, 3:57 PM IST
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New Delhi: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी के आरोपों को लेकर विपक्षी INDIA गठबंधन के सांसदों ने आज संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकाला। मार्च के दौरान पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोकने की कोशिश की, जिस पर नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया।

विपक्षी नेताओं का आरोप

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बिहार में SIR प्रक्रिया मतदाताओं के हित में नहीं बल्कि उनके अधिकार छीनने का काम कर रही है। उनका दावा है कि लाखों नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं और यह सब भाजपा के साथ मिलकर ‘वोट चोरी’ की रणनीति के तहत हो रहा है। वहीं, सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

हिरासत में रखने के नियम

भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने के बाद 24 घंटे से अधिक समय तक बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए नहीं रखा जा सकता। अगर पुलिस को अधिक समय चाहिए, तो उसे मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है। गंभीर मामलों में पुलिस अदालत से 15 दिन तक की रिमांड मांग सकती है, जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है।

हालांकि राजनीतिक प्रदर्शन के मामलों में अक्सर ‘सुरक्षा कारणों’ से नेताओं को डिटेन किया जाता है और स्थिति शांत होने पर रिहा कर दिया जाता है। नेता हों या आम नागरिक—किसी को भी बिना कानूनी प्रक्रिया के 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना कानून का उल्लंघन है।

अधिकार और सुरक्षा

हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उचित सुविधा, सुरक्षा और अपने वकील से मिलने का अधिकार होता है। गिरफ्तारी के 48 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट यह तय करता है कि हिरासत का कोई उचित कारण है या नहीं। अगर कारण नहीं पाया जाता, तो तुरंत रिहाई का आदेश दिया जाता है।

आज का मामला भी कानून व्यवस्था बनाए रखने के तहत ‘अस्थायी हिरासत’ का था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शन खत्म होने और भीड़ हटने के बाद सभी नेताओं को छोड़ दिया जाएगा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बिहार के SIR विवाद ने विपक्ष को एकजुट होकर सड़क पर उतरने का मौका दिया है, और दिल्ली का यह मार्च सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद से लेकर सड़कों तक गूंज सकता है।

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Published : 
  • 11 August 2025, 3:57 PM IST