

उत्तरी कश्मीर के उरी सेक्टर में बुधवार सुबह एक बार फिर पाकिस्तानी सीमा से घुसपैठ की कोशिश हुई, लेकिन भारतीय सुरक्षाबलों की चौकसी के आगे आतंकी योजना नाकाम रही। इस ऑपरेशन में एक जवान वीरगति को प्राप्त हुआ, जबकि सेना ने तुरंत पूरे इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया। यह बीते 13 दिनों में आतंकियों के खिलाफ तीसरी बड़ी मुठभेड़ है, जो बताती है कि सीमा पार से आतंक का दबाव कम होने की बजाय और अधिक चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
उत्तरी कश्मीर में सेना का लगातार पलटवार (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: उत्तरी कश्मीर के उरी सेक्टर में बुधवार सुबह एक बार फिर पाकिस्तानी सीमा से घुसपैठ की कोशिश हुई, लेकिन भारतीय सुरक्षाबलों की चौकसी के आगे आतंकी योजना नाकाम रही। इस ऑपरेशन में एक जवान वीरगति को प्राप्त हुआ, जबकि सेना ने तुरंत पूरे इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया। यह बीते 13 दिनों में आतंकियों के खिलाफ तीसरी बड़ी मुठभेड़ है, जो बताती है कि सीमा पार से आतंक का दबाव कम होने की बजाय और अधिक चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार, सेना की हालिया कार्रवाइयाँ दर्शाती हैं कि आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशें सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि पुंछ से लेकर किश्तवाड़ और कुलगाम तक फैली हुई हैं। 10 अगस्त को किश्तवाड़ के दुल इलाके में सेना को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली। तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ तेज हो गई। यह मुठभेड़ अभी भी जारी है।
1 अगस्त से चल रहे कुलगाम के अखल जंगलों में ऑपरेशन में अब तक 2 जवान शहीद, 9 घायल हो चुके हैं, जबकि 2 आतंकी मारे गए हैं। इसी दौरान पुलवामा में 2 अगस्त को C-कैटेगरी के आतंकी हारिस नजीर डार को ढेर किया गया। वह उन 14 आतंकियों में शामिल था, जिनकी सूची खुफिया एजेंसियों ने 26 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद जारी की थी।
सेना ने जुलाई अंत में “ऑपरेशन महादेव” के तहत लिडवास के जंगलों में पहलगाम हमले में शामिल 3 आतंकियों — सुलेमान, अफगान और जिब्रान — को मार गिराया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इनकी पहचान पाकिस्तानी वोटर ID और चॉकलेट से हुई थी। तीन महीने तक ट्रैकिंग और घेराबंदी के बाद इन्हें खत्म किया गया, जबकि मददगार दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
गौर करने वाली बात यह है कि अप्रैल में जारी 14 आतंकियों की सूची में से अब तक 7 मारे जा चुके हैं। बाकी के 6 आतंकियों को मई में शोपियां और पुलवामा में एनकाउंटर के दौरान खत्म किया गया था।
इन सभी घटनाओं से साफ है कि भारतीय सेना सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति के साथ काम कर रही है। सीमा पार से घुसपैठ की हर कोशिश का जवाब तुरंत कार्रवाई से दिया जा रहा है। चाहे वह LoC के पास की निगरानी हो या घाटी के जंगलों में सर्च ऑपरेशन, हर मोर्चे पर सेना का मकसद साफ है — आतंक का जड़ से सफाया।