

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ इन दिनों उनके सरकारी आवास को लेकर चर्चाओं में है। क्या इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। पढ़ें ये खास रिपोर्ट
पूर्व सीजेआई डॉ डीवाई चंद्रचूड़
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ के सरकारी आवास संबंधी 1 जुलाई को सरकार को लिखा गया पत्र मीडिया में आने के बाद से चारों ओर चर्चाओं में बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा गया है कि पूर्व सीजेआई डॉ. चंद्रचूड़ को सरकारी बंगला खाली करना चाहिए, क्योंकि उन्हें दी गई विशेष अनुमति और आधिकारिक नियमों के तहत दी गई अधिकतम छह महीने की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।
शीर्ष अदालत में अपने ऐतिहासिक फैसलों के साथ आम नागरिक के तौर पर भी कई उच्च आदर्श स्थापित करने वाले देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने भी इस पत्र के बाद अपनी बात सरकार और देश की जनता के सामने रखी है।
पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि उनकी बेटियां स्पेशल चाइल्ड हैं और उन्हें दुर्लभ बीमारी है। वह अपनी बेटियों के हिसाब से अपना आवास तैयार करवा रहे हैं। इस वजह से सरकारी बंगला खाली करने में देरी हो रही है। उन्होंने यह भी साफ किया का वह अपनी सार्वजनिक जिम्मेदारियों से भली भांति वाकिफ हैं और जल्द सरकारी आवास खाली करने वाले हैं।
जानबूझकर निशाना
इस सभी चर्चाओं के बीच सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पूर्व सीजेआई डॉ डीवाई चंद्रचूड़ को सरकारी आवास के बहाने जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए डाइनामाइट न्यूज़ ने कई लोगों से बातचीत की और सभी लोगों ने माना कि पूर्व सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ साहब के उनके उच्च आदर्शों के लिए जाते हैं। बतौर न्यायाधीश न्यायमूर्ति और एक आम इंसान के रूप में उन्होंने देश के हर मन को जीता है। उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में कई नए औए उच्च आदर्श स्थापित किये। इसलिये ताजा मामला कोई साजिश और उनको विवाद में लाने के लिए इरादे से किया गया लगता हैं।
इस पूरे घटनाक्रम, पूर्व सीजेआई के फैसलों और नई पहल को लेकर लोगों से बातचीत करने के साथ डाइनामाइट न्यूज़ ने एक व्यापक पड़ताल की, जिसमें कुछ बड़े तथ्य सामने आये है।
1. वकीलों और कर्मचारियों को गर्मी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में ग्लास पैनल और एयर कंडीशनिंग लगाना और राष्ट्रपति के माध्यम से NIFT द्वारा डिज़ाइन किए गए नए सुप्रीम कोर्ट लोगो को लॉन्च करना- लेकिन इन सबको बाद में पलट दिया गया।
2. इसके तुरंत बाद, उनके सरकारी आवास के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को भेजा गया एक गोपनीय पत्र मीडिया में लीक हो गया।
3. जांच से पता चलता है कि डॉ. चंद्रचूड़ ने कभी कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं मांगा।
4. पूर्व सीजेआई यूयू ललित (6 महीने) और एनवी रमना (लगभग 2 साल) सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी आवास में रहे, लेकिन उस समय कोई सवाल नहीं उठाया गया।
5. कई अन्य न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिकारी भी सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी आवास में रह रहे हैं, लेकिन उनके मामलों पर कभी सवाल नहीं उठाया गया।
6. सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नए सीजेआई संजीव खन्ना के लिए आधिकारिक आवास खाली करना चाहते थे। हालांकि, न्यायमूर्ति खन्ना ने कथित तौर पर कहा, "मैं सिर्फ 6 महीने के लिए नए घर में शिफ्ट नहीं होऊंगा, आप चाहें तो कुछ और दिन रह सकते हैं।"
7. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में सीजेआई बने, लेकिन एक साल बाद ही दिसंबर 2023 में कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले में शिफ्ट हो गए। वह अपने छोटे तुगलक रोड स्थित आवास में रहकर संतुष्ट थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों और उच्चायुक्तों की मेजबानी की आवश्यकता के कारण उन्हें वहां से जाना पड़ा।
8. उल्लेखनीय है कि मई 2016 में जब उन्हें इलाहाबाद से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था, तो वह दिल्ली में यूपी भवन की तीसरी मंजिल पर एक कमरे में आठ महीने तक सादगी से रहे थे।
9. यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुछ दिन पहले ही महासचिव ने डॉ. चंद्रचूड़ से मुलाकात की थी और उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि आवास कुछ ही दिनों में खाली कर दिया जाएगा और सभी सामान पहले ही पैक कर लिए गए हैं।
इन सभी तथ्यों के मद्देनजर ये सवाल खड़ा होता है कि आखिर पूर्व सीजेआई को पत्र भेजने और उसे मीडिया में लीक करने की इतनी जल्दी क्यों थी? यह एक विश्व स्तर पर सम्मानित न्यायविद की छवि को बदनाम करने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास की ओर इशारा करता है।