

21 मई को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर
नई दिल्ली: आज ही के दिन यानी 21 मई को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। तो आज हम आपको बताएंगे कि राजीव गांधी की हत्या कैसे हुई।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री से शुरूआत
दरअसल, इंदिरा गांधी की हत्या उनके अंगरक्षकों ने कर दी थी। इसके बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। महज 40 साल की उम्र में वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी का नजरिया काफी आधुनिक था और वे भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते थे।
वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने साल 1976 में तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य श्रीलंका में एक अलग तमिल राज्य की स्थापना करना और तमिल लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ना था। LTTE को भारत सरकार का समर्थन प्राप्त था और वह उनके प्रति सहानुभूति भी रखता था।
LTTE ने भारतीय शांति सेना का स्वागत
इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भारत की खुफिया एजेंसी ने कुछ तमिल समूहों को प्रशिक्षण और सहायता भी प्रदान की थी। लेकिन 1987 में भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच समझौता हो गया। इसके बाद राजीव गांधी ने भारतीय शांति सेना को श्रीलंका भेजा, ताकि श्रीलंका में संघर्ष को खत्म किया जा सके और LTTE को निरस्त्र किया जा सके। शुरुआती दिनों में LTTE ने भारतीय शांति सेना का स्वागत किया। लेकिन समय के साथ हालात बदलने लगे और LTTE को लगने लगा कि ये भारत का हस्तक्षेप है। इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसका खामियाजा LTTE को भुगतना पड़ा।
श्रीलंका में शांति सेना की तैनाती के बाद LTTE में नाराजगी थी। वो राजीव गांधी को पसंद नहीं करते थे। 1989 में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई थी। लेकिन कांग्रेस अभी भी विपक्ष में थी। ऐसे में 1991 में राजीव गांधी एक बार फिर चुनाव प्रचार के लिए निकले। LTTE को भी ये बात अच्छे से पता थी कि अगर राजीव गांधी दोबारा प्रधानमंत्री बने तो वो फिर से श्रीलंका में शांति सेना की तैनाती कर देंगे। इसलिए LTTE ने राजीव गांधी की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी। ये कोई छोटी-मोटी योजना नहीं थी बल्कि राजीव गांधी को मारने के लिए बड़े स्तर पर योजना बनाई गई थी।
राजीव गांधी समेत कुल 14 लोगों की मौत
21 मई 1991 को जब राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे, तब थेनमोझी गायत्री राजरत्नम नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर राजीव गांधी को माला पहनाने के बहाने उनके पास पहुंची और फिर एक विस्फोट को अंजाम दिया। इस विस्फोट में राजीव गांधी समेत कुल 14 लोगों की मौत हो गई थी. आपको बता दें कि आत्मघाती हमलावर थेनमोझी लिट्टे का सदस्य था. हालांकि इस हमले से पहले राजीव गांधी को इस रैली में न जाने की सलाह भी दी गई थी। हालांकि राजीव गांधी नहीं माने, जिसके चलते 21 मई को एक आत्मघाती हमले में उनकी मौत हो गई।