

सरकार ने विषाक्त कफ सिरप मामले के बाद तीन कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जल्द ही कफ सिरप में हानिकारक कैमिकल के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम लागू होंगे। पूरे देश में दवा कंपनियों की जांच का व्यापक ऑडिट अभियान भी शुरू किया जाएगा।
दवा कंपनियों की कड़ी जांच
New Delhi: मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत का कारण बनी विषाक्त कफ सिरप मामले ने देश में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है। इस गंभीर घटना के बाद केंद्र सरकार ने कफ सिरप निर्माता दवा कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। सरकार ने तीन कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं और पूरे देश में इन कंपनियों की पहचान कर उनकी कड़ी निगरानी शुरू करने की तैयारी कर रही है। साथ ही, कफ सिरप जैसे उत्पादों में हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल को रोकने के लिए नए सख्त नियम लागू करने जा रही है।
मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर सामने आने के बाद केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। इस मामले में जहरीले कैमिकल डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाए जाने के कारण तीन प्रमुख कफ सिरप निर्माता कंपनियों के लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिए गए हैं। इनमें गुजरात की रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स की ‘रेस्पिफ्रेश टीआर’, तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा की ‘कोल्ड्रिफ’ और गुजरात की शेप फार्मा की ‘रीलाइफ’ शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह उत्पाद भारत के कई राज्यों में बाजार में उपलब्ध थे, हालांकि इनमें से कोई भी सिरप विदेशों में निर्यात नहीं किया गया।
Cough Syrup Death Case: मध्य प्रदेश पुलिस की बड़ी कार्रवाई, Coldriif कफ सिरप के मालिक गिरफ्तार
स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी राज्यों की होती है और हर राज्य में दवा नियंत्रण विभाग सक्रिय रहता है, जो दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी करता है। हालांकि, दवा के उत्पादन, जांच और बिक्री के बाद यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कंपनी की होती है जिसने दवा बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कच्चे माल और तैयार उत्पाद की जांच समय पर हो जाती, तो यह गंभीर घटना टाली जा सकती थी। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने कहा है कि अब सभी दवा कंपनियों की सूची लेकर उनकी कड़ी निगरानी और ऑडिट किया जाएगा।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
सरकार ने सभी राज्यों से कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की सूची मांगी है ताकि पूरे देश में इस मामले की प्रभावी जांच हो सके। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के अधिकारियों ने बताया कि राज्यों और केंद्र सरकार की संयुक्त टीम अगले एक महीने के अंदर सभी दवा कंपनियों के उत्पादन स्थल और उत्पादों का ऑडिट पूरा कर लेगी। इससे दवा के हर बैच की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार कफ सिरप जैसे उत्पादों में हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए नए कड़े नियम बनाएगी। अगले 10 दिनों में इस दिशा में पहल शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही, नियमों में संशोधन कर ऐसी लापरवाही करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान भी शामिल किया जाएगा। इससे भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने में मदद मिलेगी।
भारत में स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भले ही राज्यों की हो, लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। राज्य दवा नियंत्रण विभाग और केंद्र की टीम मिलकर कफ सिरप और अन्य दवाओं की जांच करेगी। इसका मकसद दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है ताकि आम जनता को सुरक्षित दवाएं मिल सकें।
Uzbekistan Cough Syrup Case: दवा कंपनी का लाइसेंस निलंबित
जिन तीन कंपनियों के कफ सिरप में विषैला DEG पाया गया है, उनके सभी उत्पादों को बाजार से वापस बुलाया जा रहा है। अधिकारियों ने जनता से भी आग्रह किया है कि वे संदिग्ध दवाओं का सेवन न करें और यदि इन दवाओं का उपयोग हो रहा हो तो संबंधित विभाग को सूचना दें। सरकार की यह कार्रवाई एक मजबूत संदेश है कि दवा सुरक्षा को लेकर कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।