गुजरात बिटकॉइन घोटाले में बड़ा फैसला: पूर्व विधायक नलिन कोटडिया दोषी करार, सभी 17 आरोपियों को मिली ये सजा

गुजरात के बहुचर्चित बिटकॉइन घोटाले में अहम फैसला आया है। अहमदाबाद की स्पेशल एसीबी कोर्ट ने पूर्व विधायक नलिन कोटडिया, पूर्व एसपी जगदीश पटेल और पूर्व पीआई अनंत पटेल समेत 14 आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 August 2025, 3:06 PM IST
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Ahmedabad: अहमदाबाद में शुक्रवार को स्पेशल एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने गुजरात के बहुचर्चित बिटकॉइन घोटाले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस हाई-प्रोफाइल मामले में पूर्व विधायक नलिन कोटडिया, अमरेली के पूर्व एसपी जगदीश पटेल और पूर्व पुलिस निरीक्षक अनंत पटेल समेत 14 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।

एक सबूतों के अभाव में बरी

कोर्ट ने 15 आरोपियों में से 14 को दोषी पाया, जबकि एक को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने बताया कि दोषियों ने मिलकर एक सुनियोजित योजना के तहत डिजिटल करेंसी की धोखाधड़ी को अंजाम दिया और पीड़ित को धमकाकर भारी रकम वसूली। पूर्व विधायक नलिन कोटडिया, जिन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी (GPP) के टिकट पर धारी सीट से जीत दर्ज की थी, उनको भी इस घोटाले में प्रमुख भूमिका निभाने का दोषी पाया गया।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, यह मामला 2018 में सामने आया जब सूरत निवासी बिल्डर शैलेश भट्ट ने आरोप लगाया कि अमरेली जिले के पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ के बहाने उन्हें अगवा कर लिया और किसी अज्ञात स्थान पर बंधक बनाकर 12 करोड़ रुपये मूल्य के बिटकॉइन अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए। शैलेश भट्ट के अनुसार, इस साजिश में भाजपा के पूर्व विधायक नलिन कोटडिया भी शामिल थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और डरा-धमकाकर बिटकॉइन की ट्रांजैक्शन करवाई गई।

बाद में भट्ट ने अपने ही साथी किरीट पलाडिया पर पुलिस से मिलीभगत का आरोप लगाया। CID की जांच में भी यह सिद्ध हुआ कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड किरीट पलाडिया ही था। मामले की गंभीरता को देखते हुए गुजरात सरकार ने जांच अहमदाबाद CID को सौंपी। उसी साल, एसपी समेत कई पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई। जांच के दौरान नलिन कोटडिया का नाम सामने आने के बाद वे फरार हो गए और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया। सितंबर 2018 में उन्हें महाराष्ट्र के धुले जिले से गिरफ्तार किया गया, जहां वे एक साथी के घर पर छिपे हुए थे।

क्या बोले बचाव पक्ष के वकील?

वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि वे इसे गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने तर्क दिया कि सबूतों की सही जांच नहीं हुई और आरोपियों को गलत तरीके से फंसाया गया है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 29 August 2025, 3:06 PM IST