अमेरिकी टैरिफ का तगड़ा झटका, भारतीय निर्यात उद्योग पर मंडराया संकट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यातों पर टैरिफ को दोगुना कर 50% करने के फैसले ने भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में हड़कंप मचा दिया है। यह टैरिफ वृद्धि 27 अगस्त से लागू होगी और इसका सीधा असर समुद्री उत्पाद, वस्त्र, रत्न एवं आभूषण और ऑटो पार्ट्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ेगा।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 7 August 2025, 2:03 PM IST
google-preferred

New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यातों पर टैरिफ को दोगुना कर 50% करने के फैसले ने भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में हड़कंप मचा दिया है। यह टैरिफ वृद्धि 27 अगस्त से लागू होगी और इसका सीधा असर समुद्री उत्पाद, वस्त्र, रत्न एवं आभूषण और ऑटो पार्ट्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ेगा।

इस कदम को ट्रंप द्वारा भारत के रूस से तेल आयात जारी रखने के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। इस फैसले से भारत के निर्यातक प्रतिस्पर्धा में बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों से पिछड़ जाएंगे जिन्हें अमेरिका की ओर से कम टैरिफ मिलते हैं।

समुद्री उत्पाद क्षेत्र पर बड़ा असर

भारत के समुद्री उत्पादों का लगभग 40% निर्यात अमेरिका को होता है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा झींगा मछली का है। समुद्री उत्पाद निर्यातक संघ के अध्यक्ष पवन कुमार जी ने इसे "डूम्सडे" यानी प्रलय जैसा करार दिया और सरकार से सहायता की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसान डर के कारण नई फसल की बुआई बंद कर सकते हैं।

वस्त्र और परिधान क्षेत्र में अनिश्चितता

तिरुपुर, नोएडा और सूरत के वस्त्र निर्यातकों ने अमेरिका के लिए निर्माण रोक दिया है। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ए. सक्तिवेल ने कहा कि जब तक अमेरिका के साथ व्यापार समझौता नहीं होता, तब तक ऑर्डर प्रभावित रहेंगे।

सीआईटीआई के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि पुराने ऑर्डर घाटे में भेजने पड़ेंगे और नए ऑर्डर आने की संभावना नहीं है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।

रत्न और आभूषण क्षेत्र पर संकट

भारत से अमेरिका को रत्न और आभूषण का निर्यात 83,000 करोड़ रुपये का है। अब 50% टैरिफ लागू होने से यह उद्योग नए रास्ते तलाशने को मजबूर है। जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन किरीट भानसाली ने कहा कि अब दुबई और मैक्सिको में निर्माण इकाइयाँ लगाने की योजना है, ताकि अमेरिकी बाजार में टैक्स से बचा जा सके।

ऑटो पार्ट्स उद्योग पर भी प्रभाव

भारत का लगभग 61,000 करोड़ रुपये का ऑटो पार्ट्स निर्यात अमेरिका को होता है, और इस पर भी अब 50% टैरिफ लगेगा। इससे ट्रैक्टर, कमर्शियल व्हीकल और मशीनों में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स की कीमतें बढ़ेंगी और प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी।

आर्थिक विकास और रोज़गार पर संकट

एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि यदि ये टैरिफ लंबे समय तक जारी रहे तो इसका प्रभाव निवेश, विनिर्माण और रोज़गार पर भी पड़ेगा। पहले ही लेबर-इंटेंसिव क्षेत्रों में रोज़गार की स्थिति कमजोर है और बेरोजगारी दर जून में 5.6% पर थी।

समाधान की उम्मीद

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि भारत को तुरंत अमेरिका के साथ वार्ता करनी चाहिए, क्योंकि यह टैरिफ अमेरिका द्वारा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे अधिक दरों में से एक है।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल 24 अगस्त को भारत का दौरा करने वाला है और उद्योग जगत इस बातचीत से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहा है। अगर बातचीत सफल नहीं होती, तो भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए यह झटका लंबे समय तक असर दिखा सकता है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 7 August 2025, 2:03 PM IST