

लोकसभा में 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान अमित शाह और कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल के बीच तीखी बहस हो गई। वेणुगोपाल ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस का हवाला देते हुए शाह पर हमला बोला तो शाह ने पलटवार करते हुए नैतिकता का पाठ पढ़ाया।
संसद में अमित शाह
New Delhi: संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में तीखी बहस और जबरदस्त राजनीतिक टकराव देखने को मिला। कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर सीधा निजी हमला बोलते हुए 2010 के सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर केस का जिक्र किया। इस पर अमित शाह ने जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि वे फर्जी केस में फंसाए गए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने तत्काल इस्तीफा दिया और बरी होने तक कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला। लोकसभा में यह बहस उस वक्त तेज हुई जब केंद्र सरकार ने तीन महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पेश किए, जिनमें 130वां संविधान संशोधन भी शामिल है।
क्या था संसद में विवाद का कारण?
बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 130वां संविधान संशोधन विधेयक, केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पेश किए। इन बिलों के तहत प्रस्ताव है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते हैं तो उन्हें अपने पद से हटना होगा। इस बिल को लेकर विपक्ष ने इसे संविधान और लोकतंत्र पर हमला बताया और जोरदार विरोध शुरू कर दिया।
केसी वेणुगोपाल का हमला
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह पर व्यक्तिगत हमला बोलते हुए पूछा, "क्या अमित शाह ने 2010 में गुजरात के गृहमंत्री रहते हुए नैतिकता दिखाई थी, जब उन्हें सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर केस में गिरफ्तार किया गया था?" इस सवाल के बाद सदन में हंगामा मच गया और सत्तापक्ष की ओर से जोरदार विरोध हुआ।
अमित शाह का जवाब, “आप मुझे नैतिकता सिखाएंगे?”
इस टिप्पणी पर अमित शाह ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा, "मैं फर्जी केस में फंसाया गया था, लेकिन मैंने तुरंत इस्तीफा दिया और जब तक कोर्ट से बरी नहीं हुआ, कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला।" उन्होंने केसी वेणुगोपाल पर पलटवार करते हुए कहा, “आप मुझे नैतिकता सिखाएंगे?”
क्यों हुए थे अमित शाह गिरफ्तार
आपको बता दें कि अमित शाह को वर्ष 2010 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने गुजरात के गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। करीब तीन महीने जेल में रहे और 2014 में कोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।