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जेएनयू चुनाव के नतीजों में यूनाइटेड लेफ्ट ने चारों पदों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। अदिति मिश्रा बनीं नई अध्यक्ष, जबकि गोपिका, सुनील और दानिश ने उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पद जीते। कैंपस में लेफ्ट की वापसी के साथ एक बार फिर “लाल सलाम” की गूंज सुनाई दी।
अदिति मिश्रा ने रचा इतिहास
New Delhi: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव 2025 के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इस बार यूनाइटेड लेफ्ट ने चारों प्रमुख पदों पर शानदार जीत दर्ज करते हुए एक बार फिर से कैंपस की सत्ता पर कब्जा कर लिया है। अध्यक्ष से लेकर संयुक्त सचिव तक सभी सीटों पर लेफ्ट उम्मीदवारों ने बाजी मारी।
अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है, जबकि उपाध्यक्ष के पद पर के. गोपिका बाबू, महासचिव पद पर सुनील यादव और संयुक्त सचिव के पद पर दानिश विजयी रहे। इस जीत के साथ यूनाइटेड लेफ्ट ने जेएनयू छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ को एक बार फिर साबित कर दिया है।
2025 के छात्रसंघ चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट का प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा। अदिति मिश्रा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी विकास पटेल (ABVP) को 512 वोटों के अंतर से हराया। उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट की के. गोपिका ने एनएसयूआई के शेख शाहनवाज आलम को मात दी, जबकि महासचिव पद पर सुनील यादव ने ABVP के अभिषेक कुमार को पराजित किया। संयुक्त सचिव पद पर दानिश ने भी ABVP की उम्मीदवार तान्या कुमारी को पछाड़ दिया।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कैंपस का माहौल जश्न में बदल गया। लेफ्ट के समर्थकों ने ‘लाल सलाम’, ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ के नारों के साथ जीत का स्वागत किया। दिल्ली के अन्य विश्वविद्यालयों से भी छात्र संगठन के नेता जेएनयू पहुंचे और लेफ्ट के कार्यकर्ताओं को बधाई दी। कैंपस में देर रात तक ढोल-नगाड़े बजते रहे और छात्र-छात्राओं ने जीत का जश्न नाचते-गाते मनाया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे और प्रशासन की ओर से किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
जेएनयू हमेशा से देश की छात्र राजनीति का केंद्र रहा है। यहां होने वाले चुनाव न केवल कैंपस की दिशा तय करते हैं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालते हैं। यूनाइटेड लेफ्ट की यह जीत आने वाले दिनों में अन्य विश्वविद्यालयों की छात्र राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकती है।
JNUSU Election Results: जेएनयू में अध्यक्ष समेत तीन पदों पर लेफ़्ट का कब्जा
जेएनयू के चुनाव केवल विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहते, बल्कि इनका राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रभाव देखा जाता है। यहां से निकलने वाले कई पूर्व छात्र जैसे कन्हैया कुमार, शहला राशिद और नजमा आफरीन बाद में मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय भूमिकाएं निभा चुके हैं।