

सोनभद्र के ओबरा में अमरनाथ गुफा की तर्ज पर बाबा बर्फानी की भव्य झांकी सजाई गई है। सावन के अंतिम सोमवार को हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।
बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचे भक्त
Sonbhadra: सावन के पावन माह के अंतिम सोमवार को ओबरा स्थित राम मंदिर परिसर में बाबा बर्फानी की भव्य झांकी के दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यह झांकी विश्वविख्यात अमरनाथ गुफा की तर्ज पर बनाई गई है, जहां भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन स्थानीय स्तर पर कराए जाते हैं।
साल 2013 से आरंभ हुई यह परंपरा आज जिले की आस्था का केंद्र बन चुकी है। हर वर्ष हज़ारों की संख्या में शिवभक्त इस गुफा का दर्शन करने आते हैं। इस बार भी बाबा बर्फानी की गुफा और झांकी को ओबरा के स्थानीय कलाकारों ने कई हफ्तों की कड़ी मेहनत के बाद बेहद खूबसूरत तरीके से तैयार किया।
मंदिर में दर्शन के लिए लगी भक्तों की कतार
गुफा को बाहर से देखने पर लगता है मानो हिमालय की घाटियों में बसे अमरनाथ मंदिर तक की यात्रा हो रही हो। झांकी में ऊंचे दुर्गम पहाड़, संकरे और घुमावदार रास्तों की संरचना की गई है, जिससे भक्तों को असली अमरनाथ यात्रा जैसा अनुभव मिल सके। श्रद्धालुओं का कहना है कि जैसे ही वे गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं, उन्हें वहां ठंडक का विशेष अहसास होता है, मानो वे सचमुच बर्फीले क्षेत्र में पहुंच गए हों।
गुफा के अंदर बाबा बर्फानी की आकृति को हरे पत्तों, बर्फीले डिजाइन और कृत्रिम धुंध से सजाया गया है। झांकी की खास बात यह है कि भक्तों को अंदर तक पहुंचने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन जैसे ही वे बाबा के समक्ष पहुंचते हैं, उनका मन श्रद्धा और शांति से भर जाता है।
नंदलाल, आयोजन समिति के सदस्य ने बताया कि, अमरनाथ जाने में हर किसी को सुविधा नहीं मिलती, इसलिए हमने सोचा कि क्यों न यहां बाबा बर्फानी की झांकी बनाकर श्रद्धालुओं को उसी अनुभव का हिस्सा बनाया जाए। अब यह आयोजन एक परंपरा बन चुका है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है और अब तो पास के जिलों से भी लोग दर्शन के लिए आने लगे हैं।
इस झांकी का आयोजन सामुदायिक सहयोग और स्थानीय युवाओं की भागीदारी से होता है। सुरक्षा और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए स्वयंसेवकों की टीमें दिन-रात मेहनत करती हैं।
श्रद्धालुओं का कहना है कि हर बार सावन में बाबा बर्फानी का दर्शन करना आंतरिक ऊर्जा और मानसिक शांति देता है। यह स्थान अब हमारे लिए सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि भक्ति और आत्मिक अनुभव का केंद्र बन चुका है।