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कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का विवाह संपन्न कराकर घर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। जानें तुलसी विवाह की पूजा में किन सामग्रियों का प्रयोग शुभ माना जाता है।
तुलसी विवाह 2025 इन चीजों का होना है जरूरी
New Delhi: कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी विवाह मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से होता है। यह विवाह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी है। तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति आती है।
तुलसी विवाह में प्रयुक्त प्रत्येक सामग्री का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। उचित सामग्री से पूजा करने से माता तुलसी प्रसन्न होती हैं और परिवार पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तुलसी विवाह के लिए, सबसे पहले केले के पत्तों और गन्ने से एक मंडप बनाया जाता है। केले के पत्तों को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जबकि गन्ना परिवार में मिठास और एकता का प्रतीक है। इन सामग्रियों से बने मंडप में पूजा करने से जीवन में स्थिरता और मिठास आती है।
तुलसी विवाह 2025
तुलसी माता को सोलह श्रृंगार अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसमें काजल, चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी, पायल आदि शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि सोलह श्रृंगार करने से घर की महिलाओं को सौभाग्य, सुख और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजा में मौसमी फल जैसे आंवला, सिंघाड़ा, मूली, नारियल और गुड़ का उपयोग किया जाता है। चंदन और हल्दी से पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
लाल चुनरी वैवाहिक सौभाग्य और भक्ति का प्रतीक है, जबकि पीला कपड़ा ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है। तुलसी माता को लाल चुनरी और पीला कपड़ा चढ़ाने से समृद्धि आती है और पारिवारिक रिश्ते मज़बूत होते हैं।
अक्षत, सिंदूर और कुमकुम शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। इनका प्रयोग वैवाहिक जीवन में प्रेम, स्थिरता और विश्वास बनाए रखने में मदद करता है।
विवाह के दिन तुलसी माता के पास 11 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ये दीपक जीवन से अंधकार दूर करने का प्रतीक हैं। 11 दीपक जलाने से घर में समृद्धि, सौभाग्य और ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है।