

सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय महीना माना जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु व्रत-पूजन कर भोलेनाथ की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में शिव जी कहां निवास करते हैं? और हरिद्वार के कनखल क्षेत्र का इस दौरान क्या विशेष महत्व है?
शिव जी (सोर्स-गूगल)
New Delhi: धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सावन माह में कनखल (हरिद्वार, उत्तराखंड) में निवास करते हैं। शास्त्रों में यह कहा गया है कि सावन मास में वे अपनी ससुराल, कनखल (जहां सती का मायका था), में प्रवास करते हैं। यह वही पवित्र स्थान है जहां दक्ष प्रजापति ने यज्ञ कराया था और सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। इसी स्थान पर बाद में भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न किया और दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया था।
कनखल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व
कनखल, हरिद्वार से कुछ ही दूरी पर स्थित है और यह स्थान पंच तीर्थों में से एक माना जाता है। यहां स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह मंदिर ठीक उसी स्थान पर बना है जहां राजा दक्ष का यज्ञ हुआ था। श्रद्धालुओं का मानना है कि सावन मास में यहां शिव जी साक्षात वास करते हैं, इसलिए यहां पूजा करने का विशेष पुण्य फल मिलता है।
शिव पुराण और सावन का संबंध
शिव पुराण के अनुसार, सावन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है क्योंकि इसी महीने में माता पार्वती ने कठोर तप कर शिव जी को पति रूप में प्राप्त किया था। इस महीने शिव भक्त रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, व्रत और महामृत्युंजय जाप करते हैं। कनखल में इस दौरान भक्तों का भारी जमावड़ा होता है।
क्या है सावन में कनखल यात्रा का महत्व?
सावन सोमवार व्रत कैसे करें?
पंडित अरविंद मिश्रा के अनुसार, श्रावण मास में सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। वैसे तो यह व्रत किसी भी महीने के सोमवार को किया जा सकता है, लेकिन सावन माह में इसका पुण्य और प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह व्रत खास तौर पर महिलाएं रखती हैं, क्योंकि इसे करने से उन्हें पति और पुत्र का सुख प्राप्त होता है।
व्रत रखने की विधि बहुत सरल है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ रखना चाहिए। इस व्रत में फलाहार या कोई विशेष आहार लेना जरूरी नहीं है, लेकिन जरूरी है कि आप दिन में एक बार ही भोजन करें। आमतौर पर यह व्रत दिन के तीसरे पहर तक रखा जाता है, यानी व्रत करने वाला पूरा दिन निराहार रहता है और शाम को पूजा करने के बाद एक बार ही भोजन करता है।
सावन कब से शुरू है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, 2025 में सावन मास 11 जुलाई (शुक्रवार) से शुरू हो रहा है। इस दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि सुबह 02:06 बजे से शुरू होकर 12 जुलाई को सुबह 2:08 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार सावन मास 11 जुलाई 2025 से शुरू माना जाएगा।