कृष्ण-द्रौपदी से लेकर कर्णावती- हुमायूं तक… क्या आप जानते हैं रक्षाबंधन की इन पौराणिक कथाओं के बारे में

रक्षाबंधन सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस त्योहार के पीछे कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियाँ जुड़ी हैं, जो इसे और भी भावनात्मक और मूल्यवान बनाती हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 5 August 2025, 3:11 PM IST
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New Delhi: भारत में रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करने का प्रतीक है। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। लेकिन यह त्योहार सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि इसमें छिपी हैं कई गहराई से जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियाँ, जो इस दिन को विशेष बनाती हैं।

कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत काल में एक प्रसिद्ध घटना रक्षाबंधन से जुड़ी मानी जाती है। कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण के हाथ से शिशुपाल का वध करते समय उनकी उंगली कट गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। उस दिन कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि जब भी वह संकट में होंगी, वे उसकी रक्षा करेंगे। चीरहरण के समय कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाकर यह वादा निभाया। यही घटना रक्षा सूत्र के प्रतीक रूप में जानी जाती है।

रानी कर्णावती और बादशाह हुमायूं

इतिहास में एक और मार्मिक घटना रक्षाबंधन से जुड़ी हुई है। 16वीं सदी में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी। रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए हुमायूं से मदद मांगी थी क्योंकि बहादुर शाह ज़फ़र चित्तौड़ पर आक्रमण करने वाला था। राखी की लाज रखते हुए हुमायूं ने चित्तौड़ की ओर कूच किया, हालांकि वो देर से पहुँचे। यह घटना दर्शाती है कि राखी का धागा जाति, धर्म और राजनीति की सीमाओं से भी ऊपर है।

यम और यमुनाजी की कथा

एक और पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और उनकी बहन यमुनाजी के बीच भी रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है। यमुनाजी ने यमराज को राखी बांधी थी और उनसे यह वचन लिया था कि वह हर साल उनसे मिलने आएंगे। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यह आशीर्वाद दिया कि जो भाई अपनी बहन से राखी बंधवाता है, वह दीर्घायु होगा।

रक्षाबंधन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

इन कहानियों से स्पष्ट है कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह त्याग, प्रेम, कर्तव्य और रक्षा जैसे मूल्यों का उत्सव है। आज के दौर में, जहां रिश्ते तेजी से बदल रहे हैं, रक्षाबंधन हमें परंपराओं से जुड़ने और भावनात्मक रिश्तों को महत्व देने की याद दिलाता है।

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Published : 
  • 5 August 2025, 3:11 PM IST

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