

गोवर्धन पूजा 2025 हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की लीला और प्रकृति के महत्व को याद करते हैं। पारंपरिक भंडारे और इको-फ्रेंडली पूजा इस पर्व का खास आकर्षण हैं।
क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
New Delhi: गोवर्धन पूजा, भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है। यह दीपावली के अगले दिन, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और प्रकृति के महत्व को याद करते हुए घर और मंदिर सजाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इंद्र देव ने गोकुलवासियों से कहा कि उन्हें केवल उनकी ही पूजा करनी चाहिए। तब भगवान कृष्ण ने सभी गाँववालों को समझाया कि असली सुरक्षा प्रकृति और पृथ्वी से आती है। उन्होंने पूरे गाँव को गोवर्धन पर्वत की छतरी के नीचे सुरक्षित किया और इंद्र के प्रकोप से बचाया।
गाँवों में पारंपरिक विधि से पूजा आयोजित होती है। लोग मिट्टी से बनी गोवर्धन की मूर्तियों को सजाते हैं और सामूहिक भंडारे का आयोजन करते हैं। खिचड़ी, दही और मिठाइयाँ बनाने की परंपरा इस दिन खास होती है। गाँवों में रास और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जो बच्चों और युवाओं में उत्सव की भावना बढ़ाते हैं।
गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व
शहरों में यह पर्व आधुनिक रूप में मनाया जाता है। लोग इको-फ्रेंडली सजावट का उपयोग कर पूजा करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव पूजा और वीडियो शेयरिंग से यह पर्व डिजिटल माध्यम से भी फैल रहा है।
Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा कब है 21 या 22 अक्टूबर? जानें सही तिथि और महत्व
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक महत्व नहीं रखती, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का संदेश भी देती है। प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग कर मूर्तियाँ और सजावट तैयार की जाती हैं, जिससे प्लास्टिक और हानिकारक केमिकल्स का उपयोग कम होता है।
त्योहार से पहले बाजार में फूल, मिठाई, पूजा सामग्री और सजावट की बिक्री में बढ़ोतरी होती है। स्थानीय दुकानदारों और हाट-बाजार में खास खरीदारी होती है। पारंपरिक और इको-फ्रेंडली उत्पादों की मांग में वृद्धि इस साल भी देखी जा रही है।
Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा पर दें अपनों को बधाई, शेयर करें ये शुभकामनाएं और व्हाट्सएप मैसेज
स्कूल और कॉलेजों में गोवर्धन पूजा के आयोजन बच्चों और युवाओं के बीच उत्सव की भावना बनाए रखने का महत्वपूर्ण माध्यम बन गए हैं। इस दौरान धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं।