

कजरी तीज भारतीय महिलाएं विशेष रूप से सावन माह में मनाती हैं। यह तीज का पर्व विशेष रूप से उर्वरा वर्त के रूप में मनाया जाता है और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा जाता है। कजरी तीज का पौराणिक महत्व है और इसे विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं, पारंपरिक रूप से तीज के गीत गाती हैं और पूजा विधि के माध्यम से देवी पार्वती की आराधना करती हैं।
कजरी तीज 2025
New Delhi: कजरी तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत के क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हर साल यह पर्व अगस्त और सितंबर के बीच आता है, जब मौसम में हल्की बारिश होती है और धरती हरियाली से ढक जाती है।
कजरी तीज का महत्व महिलाओं के लिए बहुत विशेष है क्योंकि यह व्रत पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। कजरी तीज की शुरुआत सावन माह की तृतीया तिथि से होती है। महिलाएं इस दिन विशेष रूप से उपवास करती हैं और देवी पार्वती से अपने जीवन साथी के लिए शुभकामनाएं प्राप्त करती हैं।
कजरी तीज का पौराणिक महत्व
कजरी तीज का पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। कहा जाता है कि इस दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखा था। यह दिन विशेष रूप से पार्वती जी की पूजा और उनके साथ पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। कजरी तीज का महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि यह महिला समुदाय की एकता, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
पुराणों के अनुसार, कजरी तीज का व्रत रखने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार और विश्वास बढ़ता है। इसे एक शुभ और फलदायी दिन माना जाता है, जिसमें पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति के लिए विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
इस दिन क्या करते हैं
कजरी तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से निर्जला (बिना पानी के) होता है। महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं और फिर देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन को मनाने के लिए महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं, जो ‘कजरी’ गीत के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये गीत विशेष रूप से महिला-समूह द्वारा गाए जाते हैं और इसमें तीज के बारे में लोककथाएँ और धार्मिक प्रसंग होते हैं।
महिलाएं व्रत के दौरान न केवल पूजा करती हैं बल्कि एक-दूसरे से यह गीत गाकर खुशी साझा करती हैं। इस दिन का महत्व इस बात से जुड़ा हुआ है कि यह न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी है, जो महिलाओं के बीच भाईचारे और प्यार को बढ़ावा देता है।
कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज की पूजा विधि बहुत सरल लेकिन विशेष है।
1. स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले महिलाएं स्वच्छता के लिए स्नान करती हैं और सफेद या हरे रंग के कपड़े पहनती हैं।
2. पशुपति का आह्वान: इसके बाद वे भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन विशेष रूप से पार्वती जी की आराधना की जाती है।
3. कजरी गीत: महिलाएं इस दिन पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं, जो विशेष रूप से उनके जीवन की खुशहाली और सुखमय जीवन के लिए होते हैं।
4. व्रत का पालन: महिलाएं दिनभर उपवास करती हैं, और सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण करती हैं, जिसमें वे पूजा सामग्री, फल, मिठाइयाँ और अन्य प्रसाद ग्रहण करती हैं।
5. अन्न दान: पूजा के बाद महिलाएं किसी गरीब को अन्न या धन का दान करती हैं, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।