

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्म की खुशियों में लोग झांकियां सजाते हैं, उपवास रखते हैं और भोग लगाते हैं। लेकिन अगर व्रत के नियमों का पालन न किया जाए तो इसका पूर्ण फल नहीं मिलता। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने जन्माष्टमी व्रत से जुड़ी विशेष बातें साझा की हैं। आइए जानें क्या है सही विधि।
प्रेमानंद महाराज, श्रीकृष्ण जन्म (Img: Google)
New Delhi: देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर खास तैयारियां जोरों पर हैं। नंद के लाल के जन्मदिन पर भक्तगण मंदिरों को सजाते हैं, घरों में झांकियां बनती हैं और व्रत रखे जाते हैं। साल 2025 में जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी 15 अगस्त को मंदिरों में विशेष पूजा होगी जबकि 16 अगस्त को घरों में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
इस मौके पर वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने जन्माष्टमी व्रत और पूजा की सही विधियों की जानकारी साझा की है। उनके अनुसार, यदि जन्माष्टमी का व्रत सही तरीके से नहीं रखा जाए, तो इसका संपूर्ण फल नहीं मिलता।
कैसे रखें जन्माष्टमी का व्रत?
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि इस दिन ब्रहमचर्य का पालन अनिवार्य है। साथ ही तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांसाहारी चीज़ें से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। व्रत के दौरान मन को भगवान की भक्ति में लगाए रखना चाहिए और रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही भोग लगाकर व्रत खोला जाना चाहिए।
पूजा-पाठ के नियम
क्या मंदिर जाना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि जन्माष्टमी के दिन मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना बेहद लाभकारी होता है। मंदिरों में आयोजित विशेष झांकियां, कीर्तन और रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की पूजा आत्मिक आनंद प्रदान करती है।
100 एकादशी व्रत के बराबर है जन्माष्टमी व्रत
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, लेकिन जन्माष्टमी का व्रत 100 एकादशियों के बराबर फलदायी होता है। इस दिन का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप कटते हैं और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।