ओवरथिंकिंग कैसे बनती है मानसिक तनाव की वजह? जानें इससे छुटकारा पाने के असरदार तरीके

ओवरथिंकिंग आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक गंभीर मानसिक समस्या बनती जा रही है। जरूरत से ज्यादा सोचना तनाव, एंग्जायटी और नींद की कमी का कारण बन सकता है। जानिए ओवरथिंकिंग क्यों होती है और इससे बाहर निकलने के आसान व असरदार तरीके।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 18 December 2025, 2:46 PM IST
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New Delhi: आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी हो गया है जितना शारीरिक स्वास्थ्य। लेकिन तेज रफ्तार जिंदगी, प्रतिस्पर्धा और अनिश्चित भविष्य के डर के बीच एक समस्या तेजी से बढ़ रही है, ओवरथिंकिंग। जरूरत से ज्यादा सोचना धीरे-धीरे इंसान को खुद से ही दुश्मनी की ओर ले जाता है। छोटी बातों को बार-बार दिमाग में घुमाना, बीती गलतियों पर पछताना और आने वाले समय को लेकर लगातार चिंता करना मानसिक शांति छीन लेता है।

ओवरथिंकिंग क्या है और क्यों होती है?

ओवरथिंकिंग का मतलब है किसी भी बात पर जरूरत से ज्यादा और बार-बार सोचना। यह अक्सर डर, आत्मविश्वास की कमी, असफलता का भय और परफेक्शन की चाह से शुरू होती है। इंसान हर फैसले को लेकर “अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा” जैसी सोच में उलझ जाता है। धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है और दिमाग को आराम मिलना बंद हो जाता है।

ओवरथिंकिंग के नुकसान

लगातार ओवरथिंकिंग करने से मानसिक तनाव बढ़ता है। इसका असर नींद, काम की क्षमता और रिश्तों पर साफ दिखाई देता है। ऐसे लोग फैसले लेने में हिचकिचाने लगते हैं और कई मौके हाथ से निकल जाते हैं। लंबे समय तक ओवरथिंकिंग एंग्जायटी, डिप्रेशन और आत्मविश्वास में कमी की वजह बन सकती है।

ओवरथिंकिंग कैसे हमें घेर लेती है?

ओवरथिंकिंग धीरे-धीरे दिमाग पर कब्जा कर लेती है। शुरुआत में यह सिर्फ चिंता लगती है, लेकिन समय के साथ यह हर छोटी बात को बड़ा बना देती है। दिमाग नकारात्मक सोच की ओर ज्यादा झुकने लगता है और इंसान हर स्थिति में सबसे बुरा परिणाम सोचने लगता है। इससे मानसिक थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।

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ओवरथिंकिंग से छुटकारा पाने के तरीके

1. सोच को पहचानना सीखें

सबसे पहला कदम है यह समझना कि आप ओवरथिंक कर रहे हैं। जैसे ही दिमाग बार-बार एक ही बात पर अटकने लगे, खुद को रोकें।

2. वर्तमान पर ध्यान दें

जो बीत चुका है उसे बदला नहीं जा सकता और भविष्य हमारे पूरे कंट्रोल में नहीं होता। ऐसे में खुद को वर्तमान पल में लाने की कोशिश करें।

3. विचारों को लिखें

दिमाग में चल रही बातों को कागज पर लिख देने से मन हल्का होता है और सोच साफ होती है।

4. हर चीज को कंट्रोल करने की कोशिश न करें

यह स्वीकार करना जरूरी है कि हर स्थिति हमारे हाथ में नहीं होती। यह सोच मानसिक शांति देती है।

5. खुद के प्रति दयालु बनें

खुद को बार-बार दोषी ठहराना बंद करें। गलतियां सीखने का जरिया होती हैं, सजा देने का नहीं।

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छोटी आदतें, बड़ा बदलाव

ओवरथिंकिंग से बाहर निकलना एक प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे होती है। नियमित दिनचर्या, पर्याप्त नींद, हल्की एक्सरसाइज और किसी भरोसेमंद व्यक्ति से खुलकर बात करना इसमें मददगार साबित हो सकता है। जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना भी सही कदम है।

याद रखें आपका दिमाग आपकी ताकत है। उसे जरूरत से ज्यादा बोझ न दें, बल्कि सही दिशा में इस्तेमाल करें।

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  • New Delhi

Published : 
  • 18 December 2025, 2:46 PM IST