

श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके द्वारा अचानक विवादित कच्चाथीवू द्वीप का दौरा करने से भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भारत में यह मुद्दा पहले से ही संवेदनशील रहा है, जिसे हाल ही में अभिनेता से नेता बने विजय ने उठाया था।
कच्चाथीवू द्वीप पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति
New Delhi: श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके सोमवार, 1 सितंबर को जाफना में कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन करने पहुंचे थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने अचानक कच्चाथीवू द्वीप का दौरा करने का निर्णय लिया। यह वही द्वीप है जिसे लेकर भारत और श्रीलंका के बीच दशकों से विवाद चला आ रहा है। श्रीलंकाई पत्रकार अज्जाम अमीन ने इस दौरे की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर दी। उन्होंने राष्ट्रपति की एक तस्वीर साझा की, जिसमें वे श्रीलंकाई नौसेना के जवानों के साथ एक नाव में बैठे हुए नजर आ रहे हैं।
हाल ही में राजनीति में कदम रखने वाले दक्षिण भारत के चर्चित अभिनेता विजय ने अपने शुरुआती बयानों में ही कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत को यह द्वीप श्रीलंका से वापस ले लेना चाहिए। विजय का यह बयान तमिलनाडु की जनता में गहरी पैठ बना चुका है, जहां मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का लंबे समय से सामना करना पड़ रहा है।
कच्चाथीवू एक छोटा सा द्वीप है, जो भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के उत्तरी प्रांत के बीच स्थित है। यह द्वीप 60-70 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है, लेकिन इसका भौगोलिक और रणनीतिक महत्व बहुत अधिक है। भारत और श्रीलंका के बीच इस द्वीप को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, जो मुख्यतः दो समझौतों के इर्द-गिर्द घूमता है।
• भारत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में द्वीप को श्रीलंका का हिस्सा स्वीकार कर लिया।
• भारतीय मछुआरों को वहां मछली पकड़ने, जाल सुखाने और सेंट एंथनी चर्च के उत्सव में भाग लेने की अनुमति दी गई।
• दोनों देशों ने यह तय किया कि मछुआरे एक-दूसरे के समुद्री क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे।
• इसका सीधा नुकसान भारतीय मछुआरों को हुआ, जो इस क्षेत्र में परंपरागत रूप से मछली पकड़ते आए थे।
कच्चाथीवू द्वीप विवाद का सीधा असर भारतीय मछुआरों पर पड़ा है। जब भी भारतीय मछुआरे गलती से या मजबूरी में श्रीलंकाई सीमा में प्रवेश करते हैं, तो श्रीलंकाई नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। कई बार उनकी नावें जब्त कर ली जाती हैं, और मछुआरों को शारीरिक प्रताड़ना तक झेलनी पड़ती है। अलजजीरा की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष में 535 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया था। यह आंकड़ा इस विवाद की मानवाधिकार संबंधी जटिलता को दर्शाता है।