PM Modi China visit: भारत-चीन रिश्तों की नई शुरुआत, शी जिनपिंग का सीक्रेट लेटर आया सामने

गलवान संघर्ष के बाद ठंडे पड़े भारत-चीन रिश्तों में अब सुधार के संकेत मिल रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए सीक्रेट लेटर से शुरू हुई बातचीत अब मोदी-जिनपिंग मुलाकात तक पहुंच चुकी है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 30 August 2025, 10:05 AM IST
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Beijing: भारत और चीन के रिश्तों में लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है। गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध लगभग ठप हो गए थे। लेकिन अब नई रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिनमें दावा किया गया है कि रिश्तों को पटरी पर लाने की शुरुआत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से की गई थी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक सीक्रेट लेटर भेजकर भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई थी।

बैकचैनल कम्युनिकेशन से बदली तस्वीर

जून 2025 से भारत और चीन के बीच बैकचैनल बातचीत शुरू हुई। इस दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद और व्यापार से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की। अगस्त में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए, जहां उन्होंने भारतीय नेताओं से मुलाकात की और गलवान संघर्ष से जुड़े विवादों को सुलझाने पर सहमति जताई। इसके अलावा चीन ने भारत की आर्थिक चिंताओं को भी समझने का आश्वासन दिया।

New beginning of India-China relations (Img: Google)

भारत-चीन रिश्तों की नई शुरुआत (Img: Google)

खासकर फर्टिलाइजर, दुर्लभ धातुओं और टनलिंग मशीनों के आयात को लेकर चीन ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का वादा किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बातचीत दोनों देशों के रिश्तों को नए मोड़ पर ले जा सकती है।

मोदी-जिनपिंग की मुलाकात पर टिकी नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान होगी। यह मोदी की चीन यात्रा सात साल बाद हो रही है। आखिरी बार पीएम मोदी 2019 में चीन गए थे। इस मुलाकात को लेकर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।

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संभावित चर्चाओं में सीमा विवाद को कम करने के ठोस कदम, व्यापारिक सहयोग बढ़ाना और एशिया में स्थिरता बनाए रखने जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे। भारत और चीन दोनों ही यह समझते हैं कि आर्थिक सहयोग ही रिश्तों में मजबूती ला सकता है।

ट्रंप की टैरिफ नीति ने बढ़ाई साझेदारी की जरूरत

इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिका और भारत के रिश्तों में भी तनाव देखने को मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले से भारत-अमेरिका व्यापार पर असर पड़ा है और कई अमेरिकी विशेषज्ञों ने भी ट्रंप की इस नीति की आलोचना की है।

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वहीं ट्रंप ने चीन पर भी भारी टैरिफ लगाया है। ऐसे हालात में भारत और चीन के बीच बढ़ता सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-चीन अगर मिलकर टैरिफ बाधाओं को कम करते हैं तो न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ेगी बल्कि एशिया में निवेश और विकास की गति भी तेज होगी।

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  • Beijing

Published : 
  • 30 August 2025, 10:05 AM IST