

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है, लेकिन क्या भारत अमेरिकी कंपनियों को बाहर कर पाएगा? आइए जानते हैं क्यों यह कदम भारत के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
अमेरिकी कंपनी (Img: Google)
New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव लगातार गहराता जा रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इसमें 25% टैरिफ खासतौर पर रूस से भारत द्वारा खरीदे जाने वाले तेल पर लगाया गया है। इस फैसले ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास और बढ़ा दी है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर भारत भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाए, तो क्या होगा? सतह पर यह विकल्प मजबूत दिखाई देता है, लेकिन हकीकत यह है कि भारत ऐसा कर ही नहीं सकता। ऐसा करने पर भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगेगा।
भारत में इस समय सैकड़ों अमेरिकी कंपनियां कारोबार कर रही हैं। इनका प्रभाव इतना व्यापक है कि इन्हें बाहर करना भारत के लिए लगभग असंभव है। उदाहरण के लिए, डोमिनोज़ और स्टारबक्स जैसे ब्रांड्स ने भारतीय शहरों में अपनी गहरी पैठ बना ली है। इनके हटने से उपभोक्ताओं की पसंद सीमित हो जाएगी और हजारों छोटे व्यवसाय और आपूर्तिकर्ता भी प्रभावित होंगे।
अमेरिकी कंपनी डोमिनोज़ (Img: Google)
डिजिटल क्षेत्र की बात करें तो गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की सेवाएं भारतीय स्टार्टअप्स और उद्यमों के लिए रीढ़ की हड्डी हैं। इनकी क्लाउड सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना आईटी सेक्टर का संचालन कठिन हो जाएगा। यदि इन कंपनियों को बाहर किया गया, तो लाखों नौकरियां खतरे में पड़ेंगी और भारत के तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम को भारी नुकसान होगा।
भारत की मेक इन इंडिया पहल में भी अमेरिकी कंपनियों की अहम भूमिका है। एप्पल ने न केवल भारत में प्रीमियम स्मार्टफोन मार्केट को बढ़ावा दिया है, बल्कि भारत में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को नई दिशा दी है। ट्रंप ने भले ही धमकी दी हो कि अगर एप्पल भारत में चिप बनाकर अमेरिका भेजेगा तो 100% टैरिफ लगाया जाएगा, लेकिन भारत के लिए एप्पल को बाहर करना आसान नहीं है। कंपनी यहां हजारों नौकरियां पैदा कर रही है और ‘मेक इन इंडिया’ को गति दे रही है।
इसके अलावा, पेप्सिको, कोका-कोला और मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियां भारत के 30 अरब डॉलर के जंक फूड बाजार का बड़ा हिस्सा हैं। ये कंपनियां सिर्फ उपभोक्ता उत्पाद ही नहीं बेचतीं, बल्कि लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी देती हैं।
यानी साफ है कि भले ही भारत अमेरिका को जवाब देने के लिए इन कंपनियों पर सख्ती का विकल्प रखता हो, लेकिन वास्तव में ऐसा करना आत्मघाती कदम होगा। इन कंपनियों के बाहर जाने से न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, बल्कि रोजगार और उपभोक्ता विकल्प भी गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।