India-Pakistan: सिंधू नदी पर आया भारत का फैसला तो बौखलाए PAK PM, शहबाज शरीफ ने दे डाली ये धमकी

भारत द्वारा 1960 के सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करने के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य हलकों में हड़कंप मच गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से लेकर सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर तक, सभी भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। भारत ने जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर हाइड्रो प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, जिससे पाकिस्तान को डर सता रहा है कि उसका पानी बंद हो सकता है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 13 August 2025, 11:43 AM IST
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New Delhi: भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को भारत सरकार ने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। इसके बाद से ही पाकिस्तान में बौखलाहट साफ देखी जा रही है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में बयान दिया कि, 'पाकिस्तान अपने हक का एक बूंद पानी भी भारत से छिनने नहीं देगा।' वहीं पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने तो परमाणु हमले की धमकी तक दे डाली। उन्होंने कहा, 'अगर भारत डैम बनाएगा तो पाकिस्तान मिसाइल से गिरा देगा। अगर हम डूबेंगे, तो आधी दुनिया को साथ ले डूबेंगे।'

पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हुए सिंधु जल समझौते को लेकर भारत पर दबाव बनाने की बात कही है।

नया हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट शुरू

इस बीच भारत ने जम्मू-कश्मीर के सिंधु गांव के पास चिनाब नदी पर एक नया हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसकी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। पाकिस्तान को आशंका है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत पानी को नियंत्रित कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की कृषि, सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा।

भारत का रुख साफ

भारत का रुख साफ है यह प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय कानून और भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है। भारत पहले ही सतलुज, रावी और व्यास नदियों पर नियंत्रण रखता है और अब सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण बढ़ने से पाकिस्तान की चिंता और गहराई है।

सिंधु, झेलम और चिनाब नदियां पाकिस्तान की 70% जल जरूरतों और 80% सिंचाई प्रणाली का आधार हैं। अगर भारत पानी रोकता है, तो खरीफ और रबी सीजन दोनों प्रभावित होंगे। साथ ही टेक्सटाइल सेक्टर जो पाकिस्तान के निर्यात का 60% हिस्सा है गंभीर संकट में आ सकता है। 33% बिजली, जो हाइड्रो पावर से आती है, वह भी बाधित हो सकती है।

भारत के इस फैसले को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में मंजूरी मिली थी। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने की कीमत चुकाने पर मजबूर करना था।

1960 का सिंधु जल समझौता, विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था, जिसके तहत भारत को रावी, व्यास और सतलुज, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब का अधिकार दिया गया था। लेकिन अब समझौते के निलंबन और भारत की रणनीतिक पहल से पूरे समीकरण बदलने की संभावना है।

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  • 13 August 2025, 11:43 AM IST