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सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने हमास को बताया भारत के लिए खतरा, लश्कर और टीआरएफ के साथ दी समान श्रेणी में जगह

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से हमास को उन आतंकवादी संगठनों में शामिल किया है, जिन्हें भारत के लिए स्थायी खतरा माना जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ जैसे भारत विरोधी संगठनों के साथ हमास का नाम लिए जाने से यह संकेत मिल रहा है कि भारत की सुरक्षा रणनीति अब क्षेत्रीय सीमाओं से बाहर जाकर वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क को ध्यान में रखते हुए पुनर्निर्धारित हो रही है।
Post Published By: Asmita Patel
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सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने हमास को बताया भारत के लिए खतरा, लश्कर और टीआरएफ के साथ दी समान श्रेणी में जगह

New Delhi: रविवार को IIT मद्रास के एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक अहम बयान में कहा कि हमास, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे आतंकवादी संगठन भारत के लिए स्थायी चिंता बने हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमास, एलईटी, टीआरएफ जैसे आतंकवादी समूह और कुछ और नाम सामने आ रहे हैं… ये स्थायी रूप से भारत की चिंता का विषय रहेंगे। यह पहली बार है जब किसी भारतीय सेना प्रमुख ने हमास को सार्वजनिक मंच से आतंकवादी संगठन घोषित किया है। इससे भारत की सुरक्षा नीति और वैश्विक रणनीति में बदलाव के संकेत मिलते हैं।

अब तक भारत की चुप्पी, अब खुला रुख

भारत ने अब तक हमास को लेकर किसी स्पष्ट वर्गीकरण से परहेज किया था। जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ पहले ही हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं, भारत ने पश्चिम एशिया के भू-राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरती थी। हालांकि, जनरल द्विवेदी का बयान इस पूर्ववर्ती सतर्कता से हटकर है और यह दर्शाता है कि भारत की सुरक्षा चिंताओं का दायरा अब व्यापक हो रहा है।

सोशल मीडिया पर कश्मीर को लेकर हमास की भूमिका

भले ही हमास ने ऐतिहासिक रूप से कश्मीर मुद्दे में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है, लेकिन 5 फरवरी 2025 को पाकिस्तान में मनाए गए ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ पर सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए जिसमें हमास के सदस्य, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के साथ पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में नजर आए। इन वीडियो में हमास के सदस्य भारत विरोधी भाषण देते और यह घोषणा करते देखे गए कि “कश्मीर भारत से छीन लिया जाएगा”। इससे भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान में गंभीर चिंता उत्पन्न हुई।

इज़राइल का दबाव और भारत की रणनीतिक दूरी

7 अक्टूबर 2023 को इज़राइली नागरिकों पर हमास के हमले के बाद, इज़राइल ने भारत से हमास को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित करने का अनुरोध किया था। लेकिन भारत ने इस पर कूटनीतिक चुप्पी बनाए रखी, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि भारत पश्चिम एशिया में अपनी संतुलनकारी भूमिका को बनाए रखना चाहता है। हालांकि, अब सेना प्रमुख का यह बयान दर्शाता है कि भारत की प्राथमिकता अब सुरक्षा पर ज़्यादा केंद्रित होती जा रही है, कूटनीतिक संतुलन के मुकाबले।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद नई आतंकरोधी नीति की झलक

सेना प्रमुख का बयान ऑपरेशन “सिंदूर” के बाद आया है, जिसमें सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में कई घुसपैठ और आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त किया। यह दर्शाता है कि भारत की आतंकरोधी नीति अब केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि इसका दायरा उन वैश्विक संगठनों तक बढ़ रहा है जिनका प्रभाव कश्मीर के घटनाक्रमों में देखा जा रहा है।

क्षेत्रीय से वैश्विक खतरे की ओर

हमास का मुख्य गढ़ फिलिस्तीन है और यह संगठन लंबे समय से इज़राइल-विरोधी संघर्ष में सक्रिय रहा है। लेकिन अब इसे कश्मीर के घटनाक्रमों से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद का नेटवर्क अब वैश्विक रूप ले चुका है, और भारत अपनी सुरक्षा रणनीति में इस नए स्वरूप को शामिल कर रहा है।

भारत की सुरक्षा रणनीति में संभावित बदलाव

जनरल द्विवेदी के बयान से संकेत मिलता है कि भारत की खतरे की परिभाषा बदल रही है। जहां पहले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ही भारत की चिंता के केंद्र में थे, अब अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और उनकी भारत-विरोधी गतिविधियां, चाहे वो प्रत्यक्ष हों या अप्रत्यक्ष, भारत की रणनीति में शामिल की जा रही हैं।

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