New Delhi: आज के डिजिटल युग में हम अपने दिन का अधिकांश समय मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य डिजिटल उपकरणों के सामने बिताते हैं। काम, शिक्षा, मनोरंजन और संवाद का एक बड़ा हिस्सा अब ऑनलाइन होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस डिजिटल जीवनशैली का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसी सवाल का जवाब है डिजिटल डिटॉक्स।
डिजिटल डिटॉक्स क्या है?
डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है कुछ समय के लिए सभी डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाना या उनके उपयोग को सीमित करना। इसका उद्देश्य मानसिक तनाव कम करना, नींद सुधारना और वास्तविक जीवन के अनुभवों को फिर से महसूस करना होता है।
क्यों है डिजिटल डिटॉक्स जरूरी?
- मानसिक तनाव और चिंता कम करता है: लगातार सोशल मीडिया, ईमेल और मैसेजेस की चेकिंग से तनाव बढ़ सकता है। डिजिटल डिटॉक्स से मस्तिष्क को आराम मिलता है।
- नींद में सुधार: स्क्रीन की नीली रोशनी नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे नींद खराब होती है। डिटॉक्स से बेहतर नींद मिलती है।
- ध्यान केंद्रित करने में मदद: बहुत अधिक स्क्रीन टाइम से ध्यान भटकता है। जब डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाते हैं, तो फोकस बेहतर होता है।
- रिश्तों में सुधार: डिजिटल डिटॉक्स से परिवार और दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का मौका मिलता है।
डिजिटल डिटॉक्स कैसे करें?
- समय निर्धारित करें: दिन में कम से कम 1-2 घंटे बिना मोबाइल और कंप्यूटर के बिताने की कोशिश करें।
- नोटिफिकेशन बंद करें: सोशल मीडिया और ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद करने से बार-बार फोन चेक करने की आदत कम होती है।
- डिवाइस के बाहर गतिविधियां करें: पढ़ाई, व्यायाम, योग या प्रकृति की सैर करें।
- सोशल मीडिया पर सीमित समय: दिन में केवल एक निश्चित समय पर ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें।
- डिजिटल डिटॉक्स वीकेंड: सप्ताहांत में पूरी तरह डिजिटल डिवाइस से दूरी बनाएं।
विशेषज्ञों की सलाह
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि डिजिटल डिटॉक्स नियमित रूप से करने से तनाव कम होता है और व्यक्ति अधिक शांत और खुशहाल महसूस करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल का एक अहम हिस्सा बन चुका है।