लालू-तेजस्वी पर कोर्ट का बड़ा आदेश: राहुल गांधी के लिए नई राजनीति की राह, अब कांग्रेस के सामने दो विकल्प

राउज एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC घोटाले में लालू और परिवार पर आरोप तय किए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस फैसले के बाद कांग्रेस के सामने दो रास्ते हैं-महागठबंधन में समर्थन जारी रखना या भ्रष्टाचार मुद्दे पर लाभ उठाना।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 13 October 2025, 4:42 PM IST
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New Delhi: राउज एवेन्यू कोर्ट ने आईआरसीटीसी घोटाले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया। यह मामला बिहार की राजनीति में नया सियासी भूचाल लेकर आया है, खासकर जब तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर चुनावी मैदान में हैं।

लालू परिवार की बढ़ी परेशानियां

कोर्ट के इस आदेश ने न केवल लालू परिवार की कानूनी परेशानियां बढ़ा दी हैं बल्कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों के लिए भी यह बड़ा हथियार बन गया है। विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों का निशाना साधकर एनडीए खासकर भाजपा और जदयू ने तेजस्वी यादव को चुनावी मोर्चे पर कमजोर करने की कोशिश तेज कर दी है।

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कोर्ट ने क्या कहा?

राउज एवेन्यू कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के दो होटलों के आवंटन में अनियमितता की, जिससे भ्रष्टाचार हुआ। अदालत ने साफ कहा कि लालू के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी और पुत्र तेजस्वी यादव भी इस मामले में आरोपी हैं और सभी को ट्रायल का सामना करना होगा।

राजनीतिक दांव-पेंच

इस फैसले के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी राजनीतिक चुनौती और अवसर दोनों हैं। कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के पास यह मौका है कि वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाकर महागठबंधन को ‘क्लीन’ छवि दे सकें। साथ ही, यह उनके लिए गठबंधन के भीतर अपनी भूमिका मजबूत करने का भी अवसर हो सकता है। बिहार में कांग्रेस के पुनरुत्थान के लिए यह खासा महत्वपूर्ण है।

राहुल गांधी ने हाल ही में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए बिहार में अपनी पकड़ मजबूत की है, जिसमें तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस में अंदरूनी चर्चा तेज हो गई है कि क्या तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करना सही रहेगा या नहीं। माना जा रहा है कि यह राहुल गांधी के लिए बड़ा अवसर है, लेकिन अगर इस मामले पर वे आरजेडी के साथ टकराव करते हैं तो गठबंधन टूटने का भी खतरा है।

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एनडीए का पलटवार

एनडीए ने इस फैसले को लालू परिवार के भ्रष्टाचार का नया अध्याय बताया है। भाजपा और जदयू नेता इसे ‘भ्रष्टाचार बनाम सुशासन’ की लड़ाई के रूप में जनता के सामने पेश कर रहे हैं। उनका मकसद राजद की साख पर आघात पहुंचाना और चुनावी जमीन कमजोर करना है। एनडीए के लिए यह एक सुनहरा मौका है कि वे बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाएं।

ऐसे में कांग्रेस के सामने दो रास्ते हैं। पहला यह कि वह महागठबंधन के साथ अपनी एकजुटता बनाए रखे और इस मामले पर नरम रुख अपनाए। दूसरा, वह इस मुद्दे को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक हो और राजद के खिलाफ चुनावी फायदे हासिल करे। विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की रणनीति बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती है।

जनता के बीच छवि युद्ध

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों के साथ-साथ नेताओं की छवि भी अहम भूमिका निभाती है। भ्रष्टाचार के आरोपों ने लालू परिवार की छवि को ठेस पहुंचाई है। अब कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाकर खुद को ‘स्वच्छ राजनीति’ का विकल्प के रूप में पेश कर सकती है, जिससे शहरी और मध्यमवर्गीय वोटरों को आकर्षित किया जा सके। वहीं राजद को यह साबित करना होगा कि आरोपों के बावजूद उसका जनाधार मजबूत है।

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  • 13 October 2025, 4:42 PM IST