

बिहार चुनाव में एनडीए का सीट बंटवारा लगभग तय हो गया है, लेकिन महागठबंधन में सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर विवाद जारी है। विभिन्न पार्टियों की बढ़ती मांगों के कारण महागठबंधन के लिए सीट बंटवारा एक बड़ी चुनौती बन गया है।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर संकट
Patna: बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जहां एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीटों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है, वहीं महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर सहयोगी दलों के बीच अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। इस कारण महागठबंधन के लिए सीट बंटवारा बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
महागठबंधन की मुख्य पार्टी आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव दिल्ली में हैं। वे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे ताकि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला किया जा सके। तेजस्वी यादव ने कहा है कि जल्द ही, संभवतः आज या कल, सीट बंटवारे को फाइनल किया जाएगा। उनकी उम्मीद है कि सभी सहयोगी दलों के बीच सहमति बन जाएगी।
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महागठबंधन में सहयोगी दलों की सीट मांगों में भारी मतभेद हैं। कांग्रेस ने 60 सीटों की मांग की है, जबकि सीपीआई-माले ने 30 से अधिक सीटों की डिमांड रखी है। इसके साथ ही, सीपीआई और सीपीएम ने क्रमशः 24 और 10 सीटें मांगी हैं। वहीं, वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने साफ कहा है कि चाहे जितनी भी सीटें मिलें, उनकी पार्टी 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इसके अलावा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम ने भी 12 सीटों की मांग रखी है और 15 अक्टूबर तक इसे अंतिम रूप देने का अल्टीमेटम दिया है। यह स्थिति महागठबंधन के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है, क्योंकि सहयोगी दल अपने-अपने हितों के लिए अड़ियल बने हुए हैं।
पिछले चुनाव में 144 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरजेडी इस बार 135 सीटों से नीचे जाने को तैयार नहीं है। इसी कारण पार्टी ने पहले ही 50 उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल बांटना शुरू कर दिया है, ताकि चुनावी तैयारियों में तेजी लाई जा सके।
आज दिल्ली में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की मुलाकात महागठबंधन की सीट शेयरिंग पर अहम भूमिका निभाएगी। इसके पहले कांग्रेस की बड़ी बैठक भी हुई है, जिसमें बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इन बैठकों में रणनीति और सीटों के बंटवारे पर मंथन किया जा रहा है।
बिहार चुनाव में महागठबंधन के लिए सीट शेयरिंग एक बड़ा संकट बना हुआ है। सहयोगी दलों की बढ़ती मांगें और दबाव के बीच जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकालना बेहद जरूरी है, नहीं तो यह गठबंधन कमजोर हो सकता है। वहीं एनडीए ने अपनी सीटों का बंटवारा लगभग अंतिम रूप दे दिया है, जिससे उनकी चुनावी तैयारी और मजबूत हो गई है।