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Gorakhpur Kidnapping: नाबालिग बच्चियों का अपहरण, पुलिस के हाथ पांचवें दिन भी खाली, नहीं मिला सुराग

गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र में नाबालिग बच्चियों के अपहरण मामले में पुलिस की नाकामी पांचवें दिन जारी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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Gorakhpur Kidnapping: नाबालिग बच्चियों का अपहरण, पुलिस के हाथ पांचवें दिन भी खाली, नहीं मिला सुराग

गोरखपुर: जनपद के गोला थाना क्षेत्र से 19 और 18 जून को अपहृत दो नाबालिग बच्चियों (15 और 16 वर्षीय) की बरामदगी में पांचवें दिन भी पुलिस के हाथ खाली हैं। 15 वर्षीय बालिका के अपहरण के मामले में तीन और 16 वर्षीय किशोरी के मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137(2) और 351(3) के तहत मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन न तो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और न ही बच्चियों का कोई सुराग मिला है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पुलिस की सुस्ती और लापरवाही से पीड़ित परिवारों का गुस्सा चरम पर है, जबकि स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

परिजनों का दर्द, माँ की हालत गंभीर

15 वर्षीय बालिका की माँ सदमे के कारण अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। पिता का कहना है, “19 जून को हमारी बेटी किताब लेने निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। संदिग्ध युवक ने फोन पर जान से मारने की धमकी दी। पुलिस को तुरंत शिकायत दी, लेकिन पांच दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं।” परिजनों का आरोप है कि आरोपियों का एक कुख्यात अपराधी से संबंध है, जिसके कारण पुलिस दबाव में काम कर रही है। 16 वर्षीय किशोरी के परिवार का भी बुरा हाल है। उनका कहना है, “हमारी बेटी को बहला-फुसलाकर ले जाया गया। पुलिस ने FIR तो दर्ज की, लेकिन उसके बाद कोई प्रगति नहीं। हम हर दिन थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जवाब केवल आश्वासन मिलता है।

”पुलिस की सफाई, पर सवाल बरकरार

थाना प्रभारी अंजुल कुमार चतुर्वेदी ने दावा किया, “हमने टीमें गठित की हैं और छापेमारी जारी है। जल्द ही बच्चियां बरामद होंगी और आरोपी पकड़े जाएंगे।” लेकिन पांच दिन बीतने के बावजूद कोई ठोस परिणाम न मिलने से उनके दावों पर सवाल उठ रहे हैं। चिन्हित आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी क्यों? परिजनों ने संदिग्धों के नाम बताए, फिर भी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की।

तकनीकी संसाधनों का उपयोग क्यों नहीं?

सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग जैसे संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा? पीड़ित परिवारों को सुरक्षा का भरोसा क्यों नहीं? धमकी मिलने के बावजूद पुलिस ने परिजनों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए? स्थानीय आक्रोश और प्रशासन पर दबाव, स्थानीय लोगों का कहना है कि गोला पुलिस की लापरवाही से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर पुलिस ने पहले दिन ही सक्रियता दिखाई होती, तो शायद बच्चियां अब तक घर लौट चुकी होतीं।” जनप्रतिनिधियों ने उच्च अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग की है।

सामाजिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरेंगे। परिजनों की पुकार: “हमारी बेटियां लौटाओ”15 वर्षीय बालिका के पिता ने रोते हुए कहा, “मेरी पत्नी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। हमारी बेटी ही हमारा सब कुछ है। पुलिस से सिर्फ एक उम्मीद है, हमारी बच्ची को सकुशल वापस लाए।” 16 वर्षीय किशोरी की माँ ने भी यही गुहार लगाई, “हमारी बेटी को ढूंढने में पुलिस क्यों नाकाम है? क्या हमें इंसाफ नहीं मिलेगा?

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