

इस पूरे मामले में धर्मांतरण की साजिश, सुरक्षा एजेंसियों की जांच और छांगुर के रहस्यमय संपर्कों का खुलासा हो रहा है। समाले उर्फ सबीहा की भविष्य की दिशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं और एटीएस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसे किसी प्रकार का दबाव तो नहीं डाला जा रहा। छांगुर के संपर्कों और उसके मास्टर माइंड के बारे में भी एटीएस की छानबीन जारी है, ताकि इस बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके और साजिशों का अंत किया जा सके।
छांगुर बाबा (फाइल फोटो)
Lucknow News: उतरौला के छांगुर ने नीतू और नवीन के साथ-साथ उनकी बेटी समाले नवीन रोहरा का भी धर्मांतरण कराया था। समाले का नाम बदलकर उसे "सबीहा" रख दिया गया था। यह घटना नवंबर 2015 की है। जब दुबई स्थित इस्लामिक मामलों और धर्मार्थ गतिविधियों विभाग (आईएसीएडी) द्वारा धर्मांतरण का प्रमाणपत्र जारी किया गया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, समाले की उम्र 18 वर्ष होने पर उसकी मंगनी भी कर दी गई और उसकी शादी की तैयारी अगस्त में हो रही थी। हालांकि, एटीएस ने बीच में दखल दिया और धर्मांतरण की साजिश को नाकाम कर दिया।
धार्मिक और पारिवारिक संबंधों की जांच
सबीहा (समाले) अब छांगुर पीर के अन्य परिजनों के साथ लखनऊ के खुर्रमनगर स्थित आवास पर है। सुरक्षा एजेंसियां अब समाले से पूछताछ करने की योजना बना रही हैं। इनसे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या समाले अपने ननिहाल और ददिहाल के संपर्क में है, और क्या वह अपनी मर्जी से इस्लाम स्वीकार कर रही है या फिर उस पर किसी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। एटीएस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या वह माता-पिता की तरह इस्लाम को अपनाए रखेगी या फिर घर वापसी करने का इरादा रखती है।
सबीहा के परिवार के संपर्क में जानकारी जुटाने की प्रक्रिया
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, नीतू और नवीन के पैतृक स्थान पर जाकर उनसे जुड़ी और जानकारी जुटाई जा सकती है। इसके लिए एक टीम मुंबई भी रवाना हो सकती है, क्योंकि नवीन का परिवार मुंबई के ब्लू माउंटेन योगी हिल्स में रहता है, जो अब भी हिंदू धर्म का पालन करता है। एटीएस का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि समाले के परिवार के अन्य सदस्य धर्मांतरण की प्रक्रिया में कैसे शामिल हुए और क्या यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
छांगुर के मास्टर माइंड का रहस्य
छांगुर के करीबी लोग यह दावा कर रहे हैं कि उसके पीछे किसी बड़े मास्टर माइंड का हाथ था। यह कोई व्यक्ति था, जिसका निर्देश छांगुर बिना किसी हिचकिचाहट के पालन करता था। छांगुर ने कभी भी मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं किया था, बल्कि वह छोटी पुरानी मोबाइल का इस्तेमाल करता था। उसकी कीपैड मोबाइल में वह व्यक्तियों के फोन नंबर को बिना देखे याद रखता था। जब भी उसका "आका" फोन करता, छांगुर का चेहरा बदल जाता और वह सिर्फ "हुक्म... हुक्म" और "तामील" शब्दों के अलावा कुछ नहीं कहता था। इसके अलावा, छांगुर के निर्माण कार्य में भी परिवर्तन कराने का आदेश इसी शख्स से आता था। एक महीने में 36 बार उसने कोठी के निर्माण में बदलाव किए, जिससे लागत बढ़ी और ठेकेदार के साथ विवाद उत्पन्न हुआ। छांगुर का यह व्यवहार इस बात का संकेत है कि उसके पीछे किसी बड़े नेटवर्क का हाथ हो सकता है, जो उसकी गतिविधियों को संचालित कर रहा था।
गोंडा में छांगुर के नेटवर्क का खुलासा
छांगुर के गोंडा में भी गहरे संपर्क थे। गोंडा के धानेपुर क्षेत्र के रेतवागाड़ा में उसकी पैठ बताई जा रही है। एटीएस अब रेतवागाड़ा के रमजान की तलाश में है, जिससे छांगुर के अन्य सहयोगियों के बारे में पता चल सके। रमजान के माध्यम से छांगुर ने वजीरगंज और नवाबगंज तक अपने जाल को फैला रखा था और एटीएस ने इन जगहों से जुड़ी जानकारी जुटाने का काम शुरू किया है। एटीएस की टीम अब गोंडा की ओर बढ़ने की योजना बना सकती है, ताकि छांगुर के नेटवर्क को और ज्यादा बेनकाब किया जा सके।