

पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रूसी तेल से भारत को वास्तविक बचत केवल 2.5 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि ट्रंप आर्थिक हकीकत की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि राजनीतिक नाटक कर रहे हैं।
भारत-अमेरिका ट्रेड तनाव
New Delhi: पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार लगाए गए उन आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिनमें कहा गया है कि भारत रूसी तेल खरीदकर भारी मुनाफा कमा रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ट्रंप के आरोप आर्थिक हकीकत नहीं, बल्कि राजनीतिक नाटक हैं।
गर्ग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप ने दावा किया है कि भारत रूस से भारी छूट पर तेल खरीद रहा है और इससे अरबों डॉलर कमा रहा है।
मीडिया से बातचीत में गर्ग ने कहा कि सीएलएसए की हालिया रिपोर्ट ने ट्रंप के दावे को गलत साबित कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, रूसी तेल से भारत की वार्षिक बचत 25 अरब डॉलर नहीं, बल्कि लगभग 2.5 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा, 'आप कोई भी आंकड़ा दे सकते हैं, लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। ट्रंप इसे भारत पर दबाव बनाने के लिए एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।'
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पूर्व वित्त सचिव ने विस्तार से बताया कि रूस से तेल पर भारत को मिलने वाली वास्तविक छूट बहुत कम है। शिपिंग, बीमा और ब्लेंडिंग की लागत जोड़ने के बाद, भारत को रूसी बैरल पर मिलने वाली वास्तविक प्रभावी छूट केवल 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत रूस से वैश्विक मूल्य सीमा के भीतर तेल खरीद रहा है और इसमें किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं है।
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अमेरिका और भारत के बीच हालिया तनाव पर, गर्ग ने कहा कि ट्रम्प द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद, नई दिल्ली ने व्यापार वार्ता से खुद को अलग कर लिया है। उनके अनुसार, "कोई भी इतने ऊँचे टैरिफ के साथ व्यापार नहीं कर सकता। हालाँकि, भारत को औपचारिक रूप से बातचीत के दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए, क्योंकि हमेशा उम्मीद रहती है कि किसी न किसी मोड़ पर कुछ समझदारी ज़रूर आएगी।"
गर्ग ने भारत को अपने कड़े रुख पर पुनर्विचार करने की सलाह दी, खासकर कृषि और उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में। उन्होंने कहा कि डेयरी उत्पादों के आयात पर भारत का रवैया बहुत सख्त रहा है, जबकि इससे वास्तव में किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह उपभोक्ताओं की पसंद का मामला है और उन्हें विकल्प मिलने चाहिए, प्रतिबंध नहीं।
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