

हाल ही में संशोधित इनकम टैक्स कानून के एक प्रावधान को समलैंगिक कपल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि गिफ्ट टैक्स में भेदभाव किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट (Img: Google)
New Delhi: भारत सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा में पेश और पारित किए गए नए आयकर संशोधन विधेयक को लेकर एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस खड़ी हो गई है। यह कानून जहां आम नागरिकों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक प्रयास माना जा रहा है, वहीं एक समलैंगिक जोड़े ने इस पर सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
क्या है मामला?
पायियो आशिहो और उनके पार्टनर विवेक दीवान, जो दोनों पेशे से वकील हैं और संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं, ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि नया इनकम टैक्स कानून गिफ्ट्स पर टैक्स लगाने के मामले में समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव करता है।
इस याचिका की सुनवाई जस्टिस बी.पी. कोलाबवाल्ला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की पीठ कर रही है। कोर्ट ने संविधान से जुड़े गंभीर सवालों को देखते हुए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या कहती है याचिका?
याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि जो विषमलैंगिक जोड़े औपचारिक रूप से शादीशुदा नहीं भी होते, उन्हें भी कर कानून में शादीशुदा मान लिया जाता है, और उनके बीच दिए गए गिफ्ट्स को टैक्स फ्री माना जाता है। इसके उलट, समलैंगिक जोड़े जो अब तक भारत में वैध शादी का अधिकार नहीं रखते, उन्हें यह छूट नहीं मिलती, और उनके द्वारा एक-दूसरे को दिए गए गिफ्ट्स पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स लगाया जाता है।
वरिष्ठ वकील डॉ. ध्रुव जैनस्सेन-सिंघवी इस केस में याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह मामला न केवल कर व्यवस्था से जुड़ा है, बल्कि भारत के संविधान में प्रदत्त समानता और गैर-भेदभाव के अधिकार को भी छूता है।
संविधान और LGBTQ+ अधिकार
यह मामला उन बड़ी चुनौतियों में से एक है, जिनका सामना भारत में LGBTQ+ समुदाय को अब भी करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है, वहीं विवाह, उत्तराधिकार और कर लाभ जैसे मामलों में समानता अब तक पूरी तरह नहीं दी गई है।