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धनतेरस के बाद गोल्ड रेट में गिरावट जारी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फेडरल रिजर्व की बैठक के बाद कीमतों में और नरमी आ सकती है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह खरीदारी का सुनहरा मौका हो सकता है। जानें सोना-चांदी के बाजार का पूरा हाल
सोने के ताजा दाम
New Delhi: धनतेरस और दिवाली के बाद से सोने-चांदी की चमक कुछ फीकी पड़ी है। त्योहारों से पहले जहां गोल्ड रेट्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे, वहीं अब लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसे में आम निवेशक और ग्राहक एक ही सवाल पूछ रहे हैं- क्या अभी सोना खरीदना सही रहेगा या कीमतें और गिरेंगी?
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल सोने-चांदी की कीमतों में थोड़ी और नरमी देखने को मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह समय धीरे-धीरे खरीदारी शुरू करने का अच्छा मौका माना जा रहा है।
धनतेरस से पहले यानी अक्टूबर के आखिरी हफ्ते तक सोने की कीमतों में नौ हफ्तों तक लगातार तेजी देखने को मिली थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आनंद राठी एंड स्टॉक ब्रोकर्स में कॉमोडिटीज और करेंसीज के एवीपी मनीष शर्मा के मुताबिक, भारत और चीन के बीच व्यापारिक प्रगति, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और वैश्विक बाजार में सप्लाई बढ़ने से गोल्ड और सिल्वर दोनों में प्रॉफिट बुकिंग (मुनाफावसूली) शुरू हो चुकी है।
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शर्मा ने कहा, "त्योहारी सीजन में जो तेजी दिखी थी, अब वह धीरे-धीरे ठंडी पड़ रही है। अगले कुछ हफ्तों में सोने की कीमतें स्थिर या थोड़ी कमजोर रह सकती हैं।"
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Fed) की दो दिवसीय नीतिगत बैठक बुधवार को समाप्त हो रही है। अनुमान है कि फेड ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से सोने की कीमतों पर तत्काल बड़ा असर नहीं पड़ेगा। असली असर फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान और भविष्य की ब्याज दर नीति से तय होगा। यदि पॉवेल भविष्य में और कटौती के संकेत देते हैं, तो सोने की कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है।
वहीं, अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता दिखती है, तो निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बढ़ेगा, जिससे गोल्ड पर दबाव बन सकता है।
सोना-चांदी के बाजार का पूरा हाल
इस हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात की खबरों से भी बाजार में हलचल है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के अनुसार, दोनों देशों के बीच नई ट्रेड डील पर चर्चा हो सकती है।
अगर यह बातचीत सकारात्मक रहती है, तो ग्लोबल रिस्क सेंटिमेंट सुधरेगा और सोने जैसी "सेफ हेवन" एसेट्स में निवेश घट सकता है। वहीं, अगर कोई असहमति या अस्थिरता सामने आती है, तो सोने की कीमतों में फिर से उछाल आ सकता है।
कम अवधि (Short-Term) के निवेशकों के लिए विशेषज्ञों की राय है कि थोड़ा इंतजार करें। अभी कीमतों में हल्की गिरावट जारी रह सकती है। हालांकि, अगर आप दीर्घकालिक निवेशक (Long-Term Investor) हैं, तो मौजूदा स्तर पर धीरे-धीरे खरीदारी शुरू करना समझदारी भरा कदम हो सकता है।
फाइनेंशियल एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगले तीन से छह महीनों में डॉलर इंडेक्स में कमजोरी और जियोपॉलिटिकल अस्थिरता (जैसे यूक्रेन युद्ध या मध्य-पूर्व तनाव) सोने को फिर से मजबूत बना सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सोने की कीमतें ₹69,000 प्रति 10 ग्राम के नीचे आती हैं, तो निवेशकों को धीरे-धीरे खरीदारी शुरू कर देनी चाहिए। वहीं, चांदी ₹78,000 प्रति किलोग्राम के नीचे आने पर एक अच्छा लॉन्ग-टर्म एंट्री पॉइंट बन सकती है।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $2,340 प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर फेड के संकेत नरम रहे, तो कीमतें $2,400 प्रति औंस तक जा सकती हैं। इसके उलट, अगर अमेरिकी डॉलर मजबूत बना रहता है, तो सोना $2,250 तक फिसल सकता है।
भारत में सोने की कीमतें रुपये की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहेंगी। इस समय देश में 24 कैरेट सोना ₹70,200 प्रति 10 ग्राम और चांदी ₹82,500 प्रति किलोग्राम के आसपास चल रही है।
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अल्पकालिक रूप से सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट संभव है, लेकिन यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए अवसर भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि 2026 तक गोल्ड ₹75,000 से ₹78,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकता है।
इसलिए, यदि आप निवेश के इरादे से खरीदना चाहते हैं, तो चरणबद्ध खरीदारी करें और जल्दबाजी से बचें।