

ट्रंप और पुतिन की तीन घंटे की लंबी बैठक के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। इससे ऑयल इंपोर्ट करने वाले देशों को राहत मिली है, खासकर भारत जैसे देशों को। जानिए इस बैठक का ग्लोबल एनर्जी मार्केट पर क्या असर पड़ा।
ट्रंप-पुतिन (Img: Google)
New Delhi: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच हुई तीन घंटे की बैठक के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। भले ही यह बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची, लेकिन इसका असर तेल के वैश्विक बाजार पर साफ दिखाई दिया।
बैठक के बाद अमेरिकी क्रूड ऑयल (डब्ल्यूटीआई) के दाम 1.80 फीसदी गिरकर 62.80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। वहीं खाड़ी देशों के ब्रेंट क्रूड की कीमतें भी 1.48 फीसदी की गिरावट के साथ 65.85 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुईं। अगस्त महीने में अब तक डब्ल्यूटीआई में करीब 9.32 फीसदी और ब्रेंट क्रूड में 9.21 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
तेल की कीमतों में गिरावट
तेल की कीमतों में इस गिरावट से उन देशों को राहत मिली है, जो तेल का आयात करते हैं। भारत जैसे देश, जो खाड़ी देशों से बड़ी मात्रा में तेल मंगाते हैं, उन्हें इस गिरावट से महंगाई नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा व्यापार घाटे में भी सुधार की संभावना है।
भारत पर असर और रूसी तेल का इंपोर्ट
भारत के लिए यह बैठक इसलिए भी अहम थी क्योंकि अमेरिका ने रूस से आयातित तेल पर 25 फीसदी टैरिफ लगा रखा है, जो 28 अगस्त से प्रभावी होगा। अगर बैठक में सीजफायर या किसी ठोस समझौते की घोषणा होती, तो इस टैरिफ में छूट की उम्मीद थी। हालांकि अब तक कोई सहमति नहीं बनी, लेकिन बातचीत का रास्ता खुला है।
इस बीच भारत ने रूस से तेल आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। केप्लर की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में भारत रूस से रोजाना 20 लाख बैरल तेल आयात कर रहा है, जो जुलाई में 16 लाख बैरल था। अब रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। वहीं, इराक और सऊदी अरब से आयात घटा है।