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बिहार चुनाव 2025 में छपरा विधानसभा सीट सबसे चर्चित सीटों में शामिल है, जहां RJD ने भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को टिकट दिया है। BJP ने छोटी कुमारी को मैदान में उतारा है। विधानसभा चुनाव के लिये हो रही मतगणना के बीच जानिये छपरा का दिलचस्प रुझान
छपरा विधानसभा सीट पर ताजा रुझान
Chhapra: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है और कुछ ही समय में नतीजे सामने आने वाले हैं। छपरा विधानसभा सीट पर मुकाबला पूरे राज्य की चर्चा का केंद्र बन गया है। इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इसकी वजह हैं भोजपुरी स्टार खेसारी लाल, जो यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।
बिहार की हाई प्रोफाइल छपरा सीट इस बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गई है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को उम्मीदवार बनाया है। मनोरंजन जगत से राजनीति में प्रवेश करने वाले खेसारी अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और उनकी स्टार पावर ने चुनाव का उत्साह कई गुना बढ़ा दिया। दिलचस्प यह भी कि पहले इस सीट से उनकी पत्नी चंदा देवी को टिकट मिलने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम समय में RJD ने खेसारी को उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला। खेसारी लाल यादव का वास्तविक नाम शत्रुघ्न यादव है और यादव समुदाय के मतदाताओं में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।
एनडीए की ओर से यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिली, जिसने छोटी कुमारी को उम्मीदवार बनाया है। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली छोटी कुमारी छपरा में वैश्य समुदाय के एक प्रभावशाली चेहरे के रूप में जानी जाती हैं। वह जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनके पति धर्मेंद्र साह बीजेपी के जिला महामंत्री हैं।
छपरा सीट 2010, 2015 और 2020 में बीजेपी जीती है, इसलिए यह पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता है। इसी वजह से शुरुआत में बीजेपी आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतरी।
इस बार मुकाबला जितना सीधा दिखाई देता है, उतना है नहीं। बीजेपी के टिकट के दावेदार रहे दो नेताओं, राखी गुप्ता और राणा यशवंत प्रताप सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक दी है। इन दोनों के मैदान में आने से वोटों का बंटवारा बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है। कुछ जानकारों का कहना है कि अगर वैश्य समुदाय के वोटों में सेंध लगी, तो मुकाबला पूरी तरह पलट सकता है।
मतगणना के शुरुआती चरणों में बीजेपी की छोटी कुमारी बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि RJD उम्मीदवार खेसारी लाल यादव पीछे चल रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती रुझान अक्सर बदलते रहते हैं और अंतिम चरण में तस्वीर पूरी तरह अलग भी हो सकती है, खासकर तब जब स्टार कैंडिडेट मैदान में हों।
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1957 में हुई पहली वोटिंग से लेकर अब तक छपरा सीट पर 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
1957 में कांग्रेस के राम प्रभुनाथ सिंह ने यह सीट जीती थी।
कांग्रेस ने यहां कुल चार बार जीत दर्ज की है (आखिरी बार 1972 में)।
2005 में जेडीयू के राम परवश राय ने जीत हासिल की।
2010, 2015 और 2020 में बीजेपी ने लगातार सफलता पाई।
2014 उपचुनाव में RJD के रणधीर सिंह ने बाज़ी मारी थी।
इस इतिहास को देखकर पता चलता है कि छपरा में हवा कभी भी बदल सकती है।
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छपरा में वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटर निर्णायक माने जाते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण, राजपूत, कुशवाहा और ईबीसी समुदाय की भी बड़ी हिस्सेदारी है। यही कारण है कि यहां हर दल ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। छपरा, सारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा होने के साथ-साथ प्रमंडलीय मुख्यालय भी है, इसलिए इस सीट का प्रभाव केवल स्थानीय ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी पड़ता है।