

बिहार में आगामी चुनाव को लेकर गहमागहमी का माहौल है। आरजेडी समेत कई विपक्षी दल चुनाव बहिष्कार को लेकर लामबंद हो गए है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट सुधार की प्रकिया स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर पटना से दिल्ली तक की सियासत गर्मा गई है।
पटना: बिहार में आगामी चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। मतदाता सूची पुनरीक्षण और मतदाता सूची से 51 लाख लोगों का नाम हटाने को लेकर विपक्षी नेताओं ने चुनाव बहिष्कार को लेकर मोर्चाबंदी शुरु कर दी है। तो सत्तारुढ दल विरोधियों पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
जानकारी के अनुसार राजद नेता और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार को लेकर बयान दिया। जिस पर विपक्षी दलों ने उन्हें घेर लिया। तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव बहिष्कार पर चर्चा हो सकती है। हम लोग देखेंगे कि जनता क्या चाहती है। सब लोगों की क्या राय है।
तेजस्वी ने कहा कि जब आप बेईमानी से सब कुछ तैयार कर रखें है कि इसको इतना सीट देना है, उसको इतना सीट देना है तो चुनाव ही मत कराओ।
एलजेपी (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि बिहार चुनाव के बहिष्कार का ऐसे विरोध का उद्देश्य है कि वो लोग अपनी सफाई देना चाहते हैं कि चुनाव हारने के बाद उन्हें क्या कहना और करना है। महाराष्ट्र में जब चुनाव हुआ था, तब इन्होंने वोटों से छेड़छाड़ का राग अलापा था और पुनरीक्षण की बात कही थी। अब इनको फिर परेशानी हो रही है। ये भ्रम फैला रहे हैं कि यह वोटों की चोरी हो रही है।
RJD नेता तेजस्वी यादव के बयान पर भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि अब जनता उनका बहिष्कार कर रही है। उनकी नीतियों का बहिष्कार कर रही है। ये अपनी हार को कबूल करने की आदत नहीं डाल पाए है। तेजस्वी को जमीनी हालात पता चल गए हैं। वो चुनाव हारने से पहले ही मैदान छोड़ने की सोच रहे हैं।
सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि जनता से चुनी सरकार है। अगर वोटों के अधिकार को छीना जाएगा तो हमारा कर्तव्य है कि हम लोगों के हितों की रक्षा करें। जो असंवैधानिक कार्रवाई की जा रही हैं, लोगों के वोटों को काटा जा रहा है, उस पर रोक लगनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने तेजस्वी के बयान और SIR मुद्दे पर कहा कि चुनाव में बहिष्कार बोलकर वो अपनी हार कबूल कर चुके हैं कि बिहार में चुनाव आयोग ने जो आदेश दिया है, तो उस पर हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।