

उत्तराखंड में मानसून ने फिर करवट बदली है। 21 अगस्त को राज्यभर में येलो अलर्ट जारी किया गया है। पहाड़ी और मैदानी जिलों में भारी बारिश, बिजली गिरने और तेज़ हवाओं की आशंका जताई गई है। सतर्क रहना ज़रूरी है।
झमाझम बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी,
Dehradun: उत्तराखंड में मानसून एक बार फिर पूरे तेवर में लौट आया है। मौसम विभाग (IMD) ने 21 अगस्त को पूरे राज्य के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। 20 जून को दस्तक देने के बाद से ही मानसून ने लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित कर रखा है। कभी रेड अलर्ट, कभी ऑरेंज और अब येलो अलर्ट की स्थिति बनी हुई है। मौसम की अनिश्चितता ने पहाड़ों से लेकर मैदानों तक लोगों को लगातार सतर्क रहने पर मजबूर कर दिया है।
राहत के बाद फिर से बढ़ी टेंशन
बीते बुधवार को मौसम ने थोड़ी राहत जरूर दी थी। देहरादून समेत कई जिलों में सुबह के समय घने बादल छाए हुए थे, लेकिन दोपहर होते-होते आसमान साफ हो गया और लोगों ने राहत की सांस ली। कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली, लेकिन ज्यादातर जगह मौसम सामान्य रहा। लोगों को लगा कि अब शायद मानसून की तीव्रता कम हो गई है, लेकिन गुरुवार को मौसम ने एक बार फिर करवट बदलने के संकेत दे दिए हैं।
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येलो अलर्ट: फिर सतर्क रहने की ज़रूरत
मौसम विभाग ने आज पूरे राज्य के लिए येलो अलर्ट घोषित किया है। इसका मतलब है कि मौसम कभी भी बिगड़ सकता है और लोगों को सतर्क रहना चाहिए। खासकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल और पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी जिलों में भारी बारिश की आशंका जताई गई है। इसके साथ ही तेज़ गर्जना, आकाशीय बिजली गिरने और अति-तीव्र बारिश की चेतावनी भी दी गई है।
मैदानी जिले भी अलर्ट मोड में
केवल पहाड़ी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि मैदानी जिलों में भी खतरे की घंटी बज चुकी है। हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून जैसे मैदानी इलाकों में थंडरस्टॉर्म, तेज़ हवाएं और बिजली गिरने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने इन क्षेत्रों के लोगों को सावधानी बरतने और ज़रूरत न हो तो घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है।
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भौगोलिक स्थिति बनी बड़ी चुनौती
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति भी इस मौसम को और अधिक खतरनाक बना देती है। भारी बारिश की वजह से पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन, सड़कें बंद होने और नदियों के उफान पर आने की घटनाएं आम हो जाती हैं। वहीं मैदानी क्षेत्रों में जलभराव और बिजली गिरने की घटनाएं खतरा बढ़ा देती हैं। हर साल मानसून के दौरान राज्य को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।