

जल संकट और जलवायु परिवर्तन की गंभीर होती चुनौतियों के बीच पूर्वोत्तर रेलवे ने जल संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पूर्वोत्तर रेलवे की अनोखी पहल
जिला नैनीताल: जल संकट और जलवायु परिवर्तन की गंभीर होती चुनौतियों के बीच पूर्वोत्तर रेलवे ने जल संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है। रेलवे ने अपने विभिन्न कोचिंग डिपो पर कुल 2340 किलोलीटर प्रतिदिन (के.एल.डी) क्षमता के आठ अत्याधुनिक 'वाटर रिसाइक्लिंग प्लांट' स्थापित किए हैं। इस कदम का उद्देश्य धुलाई जैसे कार्यों में उपयोग किए गए पानी को रिसाइकिल कर दोबारा प्रयोग में लाना है, जिससे जल की बर्बादी को रोका जा सके और पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि गोरखपुर, लखनऊ, छपरा, कासगंज, रामनगर, टनकपुर और लालकुआं स्थित कोचिंग डिपो में इन प्लांट्स को स्थापित किया गया है। इनकी जल पुनर्चक्रण क्षमता इस प्रकार है:
लखनऊ – 500 के.एल.डी
न्यू कोचिंग डिपो, गोरखपुर – 500 के.एल.डी
ओल्ड कोचिंग डिपो, गोरखपुर – 500 के.एल.डी
छपरा – 250 के.एल.डी
कासगंज – 500 के.एल.डी
रामनगर – 50 के.एल.डी
टनकपुर – 20 के.एल.डी
लालकुआं – 20 के.एल.डी
इन रिसाइक्लिंग प्लांट्स के माध्यम से प्रतिदिन हजारों लीटर पानी को साफ कर पुनः उपयोग किया जा रहा है। इससे न केवल जल की बचत हो रही है, बल्कि रेलवे की स्वच्छता और संसाधनों के कुशल प्रबंधन की दिशा में भी यह एक मजबूत पहल बन गई है। खास बात यह है कि यह सभी कार्य पर्यावरणीय मानकों का पालन करते हुए किए जा रहे हैं।
रेलवे प्रशासन की योजना इस पहल को और आगे बढ़ाने की है। लखनऊ मंडल के लखनऊ जंक्शन और गोरखपुर जंक्शन स्टेशनों पर भी वाटर रिसाइक्लिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं और इनका कार्य प्रगति पर है।
जल संरक्षण को लेकर यह कदम न केवल रेलवे की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि यह अन्य सरकारी और निजी संस्थानों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन सकता है। जल संकट के इस युग में पूर्वोत्तर रेलवे की यह पहल एक अनुकरणीय उदाहरण है, जिससे सतत विकास के लक्ष्य को बल मिलेगा।