Uttarakhand News: रामनगर में शव दफनाने को लेकर विवाद, तनावपूर्ण माहौल में पुलिस ने संभाला मोर्चा

विशेष समुदाय के लोगों द्वारा शव को दफनाने के लिए विवादित जमीन पर खुदाई की जाने लगी। जिसके वजह से विवाद उत्पन्न हो गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 29 May 2025, 2:23 PM IST
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रामनगर: रामनगर के गौजानी इलाके में गुरुवार सुबह उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई जब एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा शव को दफनाने के लिए विवादित जमीन पर खुदाई की जाने लगी। देखते ही देखते मामला गरमा गया और मौके पर पहुंचे भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध जताते हुए दावा किया कि जिस स्थान पर खुदाई की जा रही है वह अधिकृत कब्रिस्तान की सीमा में नहीं आता।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, विवाद बढ़ने पर भाजपा नेता मदन जोशी ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह इलाका हिंदू बहुल है और वर्ष 1993 में दोनों समुदायों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि विशेष समुदाय के लोग कब्रिस्तान से 200 मीटर दूर निश्चित स्थान पर ही शव दफनाएंगे।

वक्फ बोर्ड की कमेटीके दबाव में उठाया कदम

मदन जोशी ने यह भी आरोप लगाया कि मृतक के परिजन भी विवाद नहीं चाहते थे, लेकिन वक्फ बोर्ड की कमेटी से जुड़े कुछ लोगों के दबाव में आकर उन्होंने यह कदम उठाया। उन्होंने कहा कि यदि दफन की प्रक्रिया वहीं पूरी हो जाती तो इससे क्षेत्र का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था।

मामले की निष्पक्ष जांच की मांग

सूचना मिलते ही प्रशासन सक्रिय हुआ और मौके पर एसडीएम प्रमोद कुमार, सीओ सुमित पांडे और कोतवाल अरुण कुमार सैनी भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बातचीत कर माहौल को शांत करने की कोशिश की। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि किसी को भी बिना अनुमति किसी भी तरह की कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जाएगी और मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।

भूमि का सीमांकन के लिए भेजा पत्र

भाजपा नेताओं ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है और जमीन के सीमांकन की मांग की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक इस भूमि का सीमांकन नहीं हो जाता, वे वहां किसी भी प्रकार की दफन प्रक्रिया की अनुमति नहीं देंगे।

क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात

फिलहाल क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है और स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। यह विवाद केवल जमीन तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि अब सामाजिक समरसता के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी निष्पक्ष जांच करते हुए दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने की है। अब सभी की निगाहें शासन की जांच रिपोर्ट और जमीन के सीमांकन पर टिकी हैं।

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