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जिला पंचायत चुनाव अपहरण मामले में हाईकोर्ट का कड़ा रुख, SSP को 24 घंटे में एफिडेविट देने का निर्देश

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में जिला पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थित 5 सदस्यों के कथित अपहरण मामले में हाईकोर्ट ने SSP की कार्यशैली पर सवाल उठाए और पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने SSP से एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया।
Post Published By: Tanya Chand
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जिला पंचायत चुनाव अपहरण मामले में हाईकोर्ट का कड़ा रुख, SSP को 24 घंटे में एफिडेविट देने का निर्देश

Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थित 5 जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण मामले ने गंभीर मोड़ लिया है। मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न केवल पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई, बल्कि नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि SSP की कार्यशैली पूरी तरह विफल रही है और उनका ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
नैनीताल जिले में जिला पंचायत चुनाव से पहले 5 कांग्रेस समर्थित सदस्य कथित रूप से लापता हो गए थे। इन सदस्यों के अपहरण का आरोप सामने आने के बाद पुलिस को इस मामले की जांच सौपी गई। हालांकि, पुलिस की निष्क्रियता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अपहरण की घटनाओं में पुलिस का ढीला रवैया स्थिति को और भी जटिल बना रहा है।

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कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान जब SSP ने कोर्ट को बताया कि अपहरण में शामिल लोगों की पहचान कर ली गई है, तो कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा, “तो फिर आपने क्या किया? उन्हें बुके भेंट किए?” यह टिप्पणी SSP की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए दी गई थी। कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में अभी तक पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, और अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

SSP को आदेश
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए SSP को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उनकी कार्यशैली पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कोर्ट ने SSP से इस मामले में पूरी जानकारी के साथ 20 अगस्त 2025 तक एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट का यह आदेश पुलिस और प्रशासन के लिए एक कड़ी चेतावनी माना जा रहा है।

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चर्चा का विषय बना मामला
यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन चुका है, क्योंकि ऐसे मामलों में पुलिस की निष्क्रियता से नागरिकों के बीच विश्वास में कमी आती है। इसके अलावा, यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की कमजोरी को भी उजागर करती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े होते हैं।

हाईकोर्ट का यह कदम पुलिस और प्रशासन को सजग करने के उद्देश्य से है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और नागरिकों को न्याय मिल सके।

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