देहरादून: उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन के माध्यम से गांवों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। लोकसभा में हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड की सहकारी समितियों के डिजिटल सशक्तिकरण की जानकारी दी।
दिशा में एक मजबूत प्रयास
अब राज्य की सभी 670 प्राथमिक कृषि साख समितियां (PACS) NABARD द्वारा विकसित e-PACS ERP सॉफ्टवेयर से जुड़ चुकी हैं। इन समितियों को कंप्यूटर, प्रिंटर, बायोमेट्रिक डिवाइस, यूपीएस और वीपीएन कनेक्टिविटी जैसे आधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। इससे लेनदेन, लाभांश वितरण, कृषि ऋण प्रक्रिया और अन्य सेवाएं पारदर्शी और त्वरित होंगी। लगभग 13.48 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना में से 12.13 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने वहन किए हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में एक मजबूत प्रयास माना जा रहा है।
किसानों को आर्थिक मजबूती
इसी क्रम में हरिद्वार जिले को दुग्ध सहकारिता क्षेत्र में भी नई ऊर्जा दी जा रही है। उत्तराखंड कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने 2025-26 की वार्षिक योजना में हरिद्वार में 27 नई दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना और 25 मौजूदा समितियों के सशक्तिकरण का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही डाटा प्रोसेसिंग और मिल्क कलेक्शन यूनिट्स की स्थापना से दुग्ध संग्रहण और गुणवत्ता निगरानी को भी मजबूती मिलेगी। इससे दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी और महिलाओं व छोटे किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी।
केंद्र सरकार की योजनाओं के समन्वय
केंद्र सरकार ने सहकारिता आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए 15 जनवरी 2023 को दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह समितियां डेयरी, मत्स्य पालन, कृषि, स्वास्थ्य, डिजिटल सेवा, जन औषधि केंद्र और किसान समृद्धि केंद्र जैसे क्षेत्रों में काम करेंगी। इस योजना का क्रियान्वयन DIDF, NPDD, PMMSY जैसी विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं के समन्वय से किया जाएगा।
अमित शाह के मुताबिक, यह पहल उत्तराखंड समेत पूरे देश के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
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