नैनीताल की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा विंटर कार्निवाल, सात दशक पुराने इतिहास की ताज़ा धड़कन

नैनीताल में शुरू हुआ विंटर कार्निवाल सिर्फ़ एक पर्यटन कार्यक्रम नहीं, बल्कि शहर की सत्तर साल पुरानी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। रानीखेत वीक और सितंबर वीक से शुरू हुई यह यात्रा कुमाऊं महोत्सव और शरदोत्सव के रूप में आगे बढ़ी और आज भी नैनीताल की पहचान बनी हुई है।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 25 December 2025, 6:03 PM IST

Nainital: नैनीताल में शुरू हुआ विंटर कार्निवाल इस शहर की सिर्फ़ एक मौसमी गतिविधि नहीं, बल्कि यहां की पुरानी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा रहा उत्सव है। आज जिस कार्यक्रम को लोग विंटर कार्निवाल के नाम से जानते हैं, उसकी शुरुआत करीब 70 साल पहले हुई थी। 1952 में जब पहली बार रानीखेत वीक और सितंबर वीक जैसे आयोजन शुरू हुए, उसी दौर ने आगे चलकर कुमाऊं महोत्सव को जन्म दिया। राज्य बनने के बाद इस उत्सव को नई पहचान मिली और यह शरदोत्सव के नाम से लोकप्रिय हुआ।

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शरदोत्सव लंबे समय तक नैनीताल की पहचान रहा। नगर पालिका परिषद इसकी आयोजक रहती थी और वर्षों तक यह कार्यक्रम स्थानीय लोगों के साथ ही बाहर से आने वाले हजारों सैलानियों को भी अपनी ओर खींचता था। झीलों के किनारे होने वाले इस उत्सव में कला, संगीत, लोक संस्कृति और यहां की परंपराओं की ऐसी झलक मिलती थी, जिसने नैनीताल को पूरे देश में अलग पहचान दी।

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इस उत्सव में तरह-तरह के कार्यक्रम माहौल को जीवंत बना देते थे। ऑल इंडिया ड्रामा प्रतियोगिता, ऐपण प्रतियोगिता, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, पागल जिमखाना और लाइट एंड साउंड शो जैसी गतिविधियां लोगों को खूब पसंद आती थीं। दिन में कुमाऊं की लोक कला और संस्कृति देखने को मिलती थी, जबकि रात में बड़े मंच पर देश के जाने-माने कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को बांधे रखते थे।

Location : 
  • Nainital

Published : 
  • 25 December 2025, 6:03 PM IST