एक रात की तबाही में उजड़ गए जिंदगीभर के सपने…शिक्षक दंपति अब ढूंढ रही पानी में बहे 30 लाख रुपये

रोशनी देवी बेहद भावुक होकर कहती हैं, “हम शिक्षक हैं, समाज को दिशा देने का काम करते हैं। लेकिन आज खुद दिशा खो चुके हैं। न घर है, न जमीन, न पैसा… बस एक उम्मीद बची है कि शायद कोई मदद को आगे आए।”

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 6 July 2025, 7:59 PM IST
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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के थुनाग बाजार से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। जिसने न केवल एक शिक्षक दंपति की जिंदगी को उजाड़ दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि प्राकृतिक आपदाएं किस तरह एक पल में इंसान की मेहनत, सपने और भविष्य सब कुछ लील सकती हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह कहानी है शिक्षक मुरारी लाल ठाकुर और उनकी पत्नी रोशनी देवी की है। जिनकी पूरी जिंदगी की कमाई और भविष्य की सबसे बड़ी योजना महज एक रात के सैलाब में बह गई। पेशे से दोनों शिक्षक हैं। वर्षों की मेहनत और बचत से उन्होंने 30 लाख रुपये जमा किए थे। कुछ अपनी तनख्वाह से और कुछ रिश्तेदारों से उधार लेकर सपनों को पूरा करना चाहते थे।

जमीन का सपना, जो हकीकत बनने से पहले ही मिट गया

20 जून को मुरारी लाल और रोशनी देवी ने एक जमीन का सौदा 30 लाख रुपये में किया था। 7 जुलाई को रजिस्ट्री होनी तय थी। वे इसे अपना ‘सपनों का आशियाना’ बनाने जा रहे थे। लेकिन इसी जमीन के लिए जो रकम उन्होंने एक लोहे के ट्रंक में संभाल कर रखी थी, लेकिन गहनों समेत पूरे जीवन की कमाई 30 जून की रात आई बाढ़ में बह गई।

सिर्फ यादें और 650 रुपये बचे

अब मुरारी लाल और उनकी पत्नी मलबे में उस ट्रंक को ढूंढ रहे हैं, जिसमें उनका भविष्य कैद था। वे कभी पत्थर हटाते हैं, कभी मिट्टी हटाते हैं, शायद कुछ मिल जाए। मुरारी लाल की आंखें भर आती हैं, जब वे कहते हैं, “बस एक जोड़ी कपड़े बचे हैं जो उस रात तन पर थे। जेब में 650 रुपये हैं, जो यही हमारी पूरी जमा पूंजी रह गई है।”

"न घर है, न जमीन, न पैसा"

उनकी पत्नी रोशनी देवी बेहद भावुक होकर कहती हैं, “हम शिक्षक हैं, समाज को दिशा देने का काम करते हैं। लेकिन आज खुद दिशा खो चुके हैं। न घर है, न जमीन, न पैसा... बस एक उम्मीद बची है कि शायद कोई मदद को आगे आए।”

एक नहीं, अनेक सपनों की मौत

यह आपदा सिर्फ एक घर की नहीं, एक जीवन दर्शन की तबाही है। यह उस मध्यवर्गीय सोच की हार है, जो सालों की मेहनत से थोड़ा-थोड़ा जोड़कर भविष्य के लिए कुछ संजोता है। मुरारी और रोशनी की कहानी हर उस आम परिवार की कहानी बन गई है, जो संघर्षों में जीता है और उम्मीदों के सहारे चलता है।

सरकार और समाज से मदद की आस

अब यह शिक्षक दंपति अपनी आंखों में बस एक उम्मीद लिए बैठा है कि कोई आए और कहे, “आपका ट्रंक मिल गया है...आपका घर फिर से बन जाएगा।” वे सरकार से आर्थिक मदद और पुनर्वास की अपील कर रहे हैं।

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