गैरसैंण सत्र का समय घटाने पर सपा का हमला, सरकार से किए तीखे सवाल

समाजवादी पार्टी ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र को मात्र डेढ़ दिन में समाप्त करने पर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सत्यनारायण सचान ने प्रेस वार्ता के दौरान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गैरसैंण को हमेशा हाशिये पर रखा जा रहा है, जबकि यह उत्तराखंड की जनता की आकांक्षाओं का केंद्र है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 31 August 2025, 8:17 AM IST
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Dehradun: समाजवादी पार्टी ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र को मात्र डेढ़ दिन में समाप्त करने पर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सत्यनारायण सचान ने प्रेस वार्ता के दौरान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गैरसैंण को हमेशा हाशिये पर रखा जा रहा है, जबकि यह उत्तराखंड की जनता की आकांक्षाओं का केंद्र है।

चार दिन का सत्र डेढ़ दिन में निपटाया, लोकतंत्र की अनदेखी

डॉ. सचान ने कहा कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गैरसैंण में चार दिन का सत्र प्रस्तावित था, लेकिन सरकार ने इसे जल्दबाज़ी में डेढ़ दिन में ही समाप्त कर दिया और देहरादून लौट आई। इससे विपक्ष को राज्यहित से जुड़े अहम मुद्दों को उठाने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल सका। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनभावनाओं का अपमान बताया।

आपदाओं और राहत कार्यों पर चर्चा से भागी सरकार

सपा नेता ने कहा कि उत्तराखंड इस समय बाढ़, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं की गंभीर स्थिति से जूझ रहा है। कई स्थानों पर मकान गिर चुके हैं, नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर है और ग्लेशियरों के पिघलने से नई झीलें बन रही हैं। ऐसे में सत्र में इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी ताकि राहत और पुनर्वास के लिए ठोस नीति बन सके, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह नजरअंदाज किया।

बेरोजगारी और पलायन पर भी नहीं हुई कोई बहस

डॉ. सचान ने कहा कि बेरोजगारी और पलायन राज्य की सबसे गंभीर समस्याएं हैं। उत्तराखंड का युवा रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर जा रहा है, गांव खाली हो रहे हैं और राज्य की सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ रही है। इसके बावजूद सरकार ने इन ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने से परहेज़ किया।

गैरसैंण को अब तक स्थायी राजधानी क्यों नहीं बनाया गया?

उन्होंने सवाल उठाया कि जब 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का गठन किया, उसी समय गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित कर देना चाहिए था। लेकिन आज तक केवल वादे किए जा रहे हैं और देहरादून-केंद्रित राजनीति ने गैरसैंण की उपेक्षा की है।

सरकार को अपने फैसलों पर करना चाहिए पुनर्विचार

डॉ. सचान ने सरकार से पूछा कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने से अब तक क्यों परहेज किया जा रहा है? क्या यह सिर्फ जनता को भ्रमित करने का साधन बन गया है? उन्होंने चेतावनी दी कि गैरसैंण की लगातार अनदेखी प्रदेश की जनता के लिए शुभ संकेत नहीं है और सरकार को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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