समाजसेवी शारिक मलिक को मिला बड़ा दायित्व, उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्ति

क्षेत्र के लिए गर्व का अवसर लेकर आई एक अहम खबर में सार्सेना निवासी और विख्यात समाजसेवी शारिक मलिक को उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। राज्यपाल ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 2002 की धारा 32 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए उनकी नियुक्ति को स्वीकृति दी है। जारी आदेश के अनुसार, मलिक का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से अगले पाँच वर्षों तक रहेगा।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 12 August 2025, 4:48 PM IST
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Nagel: क्षेत्र के लिए गर्व का अवसर लेकर आई एक अहम खबर में सार्सेना निवासी और विख्यात समाजसेवी शारिक मलिक को उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। राज्यपाल ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 2002 की धारा 32 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए उनकी नियुक्ति को स्वीकृति दी है। जारी आदेश के अनुसार, मलिक का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से अगले पाँच वर्षों तक रहेगा।

अल्पसंख्यक आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना, उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की निगरानी करना और समाज में उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। इस दृष्टि से, शारिक मलिक की नियुक्ति को क्षेत्र के लोग एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं।

शारिक मलिक वर्तमान में महर्षि दयानंद कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बडूली के निदेशक हैं और लंबे समय से शिक्षा, सामाजिक विकास और जनकल्याण के कार्यों में सक्रिय हैं। वे क्षेत्र में कई जनसेवा अभियानों, शैक्षिक कार्यक्रमों और जरूरतमंदों की मदद के लिए विभिन्न पहलों का हिस्सा रहे हैं। उनकी पहचान एक जमीनी कार्यकर्ता और शिक्षा को बढ़ावा देने वाले प्रेरणास्रोत के रूप में रही है।

नियुक्ति के बाद शारिक मलिक ने उत्तराखंड सरकार और राज्यपाल का आभार जताते हुए कहा, “सरकार ने जो विश्वास और जिम्मेदारी मुझे सौंपी है, उसे मैं पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाऊंगा। मेरा लक्ष्य अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान, उनके अधिकारों की रक्षा और शिक्षा एवं सामाजिक विकास के क्षेत्र में ठोस और सकारात्मक योगदान देना होगा।”

उनकी इस नियुक्ति की खबर से क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। स्थानीय निवासियों, सामाजिक संगठनों और शैक्षिक संस्थानों ने उन्हें बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि उनके नेतृत्व में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मुद्दों का प्रभावी समाधान होगा और सरकारी योजनाओं का लाभ सही जरूरतमंदों तक पहुंचेगा।

शारिक मलिक का यह नया संवैधानिक दायित्व न केवल उनके सामाजिक सफर का एक नया अध्याय है, बल्कि अल्पसंख्यक समाज के लिए भी नई उम्मीद की किरण है। उनके समर्थक और शुभचिंतक अब इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि उनका अनुभव, दृष्टिकोण और सेवा भाव राज्य में अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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