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नैनीताल में शनिवार को जिला अदालत का माहौल बदला-बदला नजर आया। बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के प्रदेशव्यापी आंदोलन के समर्थन में वकीलों ने एकजुट होकर आवाज बुलंद की। चैंबर निर्माण समेत अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन का ध्यान खींचा।
देहरादून में चैंबर निर्माण की मांग (Img: Google)
Nainital: उत्तराखंड में अधिवक्ताओं की मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन का असर शनिवार को नैनीताल में भी देखने को मिला। जिला अदालत के अधिवक्ताओं ने न्यायिक कामकाज से दूरी बनाते हुए बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। सुबह से ही बड़ी संख्या में अधिवक्ता न्यायालय परिसर में एकत्र हुए और बैठक कर देहरादून में चैंबर निर्माण की मांग को जायज ठहराया।
न्यायालय परिसर में बैठक का संचालन बार एसोसिएशन के सचिव दीपक रुवाली ने किया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए चैंबर केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं होने चाहिए। प्रदेश के कई जिला और तहसील मुख्यालय में अधिवक्ताओं को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। वकीलों को काम करने के लिए उचित स्थान और सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक न्यायिक व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती।
बैठक में बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओंकार गोस्वामी ने अधिवक्ताओं को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वकालत पेशा तभी मजबूत होगा। जब अधिवक्ता एकजुट रहेंगे और संगठन को और मजबूत करेंगे। उन्होंने सभी वकीलों से प्रदेशव्यापी आंदोलन में पूरी मजबूती के साथ साथ देने की अपील की।
बैठक में पूर्व उपाध्यक्ष संजय सुयाल, तरुण चंद्रा और रवि शंकर आर्या ने नए अधिवक्ताओं की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि नए वकीलों के लिए चैंबर होना बेहद जरूरी है क्योंकि बिना उचित जगह के प्रैक्टिस करना बेहद कठिन हो जाता है। साथ ही उन्होंने यह मांग भी रखी कि जो न्यायिक कार्यालय पहले नैनीताल में स्थित थे और बाद में यहां से स्थानांतरित कर दिए गए। उन्हें दोबारा नैनीताल लाया जाए।
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बैठक में पूर्व अध्यक्ष नीरज साह ने कहा कि दस साल बाद नोटरी लाइसेंस का नवीनीकरण रोका जाना पूरी तरह से अन्या के खिलाफ है। इससे उन अधिवक्ताओं के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस सेवा में लगा दी है। इसके अलावा नए अधिवक्ताओं के सामने ऑल इंडिया बार परीक्षा को लेकर आ रही दिक्कतों पर भी चर्चा हुई। पूरे उत्तराखंड में इस परीक्षा के लिए सिर्फ दो ही केंद्र हैं। जिससे दूर-दराज के इलाकों से आने वाले नए वकीलों को भारी परेशानी होती है।