Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरदर्शी सोच और विकास की प्रतिबद्धता का परिणाम आज पूरे कुमाऊं क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। फरवरी 2024 में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री धामी ने वर्चुअल माध्यम से कुमाऊं हेली सेवा का शुभारंभ किया था। कुछ ही महीनों में यह सेवा पहाड़ी जीवन में नई ऊर्जा, उम्मीद और सुविधाओं का प्रतीक बन चुकी है।
हल्द्वानी से चम्पावत, पिथौरागढ़, मुनस्यारी, बागेश्वर और अल्मोड़ा तक शुरू की गई इस हवाई सेवा ने जहां आम जनता की यात्रा को सुगम बनाया है, वहीं राज्य के विकास की दिशा को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। पहले जहां इन पहाड़ी जिलों तक पहुंचने में यात्रियों को कई घंटे या पूरा दिन लग जाता था, वहीं अब यह दूरी कुछ ही मिनटों में तय हो रही है।
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पहाड़ों की कठिन राहों को आसान बना रही हेली सेवा
पहाड़ी क्षेत्रों की दुर्गम और घुमावदार सड़कों पर सफर करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। कई बार आपातकालीन स्थितियों में मरीजों, स्कूली छात्रों, प्रशासनिक टीमों या पर्यटकों को लंबा और जोखिम भरा सफर तय करना पड़ता था। लेकिन अब कुमाऊं हेली सेवा ने इन चुनौतियों को बहुत हद तक कम कर दिया है। लोगों का कहना है कि यह सेवा पहाड़ की असली जरूरत थी, जिसने अब उनके जीवन को सरल बना दिया है। हल्द्वानी से शुरू होकर यह हेली सेवा अब सीमांत जिलों तक पहुंच चुकी है। चम्पावत, पिथौरागढ़, मुनस्यारी और बागेश्वर जैसे इलाकों के लोगों को अब राजधानी और मैदानी शहरों से सीधा हवाई संपर्क मिल गया है। यात्रियों के बीच इस सेवा को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
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पर्यटन और रोजगार को मिला नया पंख
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल अब केवल परिवहन तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह पर्यटन को नई दिशा देने वाला माध्यम बन गई है। उत्तराखंड के सीमांत जिलों की प्राकृतिक सुंदरता, हिमालय की श्रृंखलाएं और सांस्कृतिक धरोहरें अब देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए पहले से कहीं अधिक सुलभ हो गई हैं। हेली सेवा शुरू होने के बाद इन क्षेत्रों में होटल, गाइड, स्थानीय परिवहन, हस्तशिल्प और खाद्य व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को नया जीवन मिला है। ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे पहाड़ों से पलायन पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है।
धामी सरकार के विज़न का प्रतीक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि “विकास का लाभ तब ही सार्थक होता है जब वह राज्य के हर कोने तक पहुंचे।” कुमाऊं हेली सेवा इसी सोच का परिणाम है। यह केवल एक परिवहन सुविधा नहीं, बल्कि ‘सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तराखंड’ की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। यह हेली सेवा आपातकालीन परिस्थितियों, स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यटन, व्यापार और शासनिक कार्यों में भी अहम भूमिका निभा रही है। भविष्य में इस सेवा को गढ़वाल मंडल और राज्य के अन्य हिस्सों तक विस्तार देने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि पहाड़ और मैदान के बीच की दूरी सचमुच खत्म हो सके।
“यह सिर्फ सेवा नहीं, जीवन की नई उम्मीद है”
स्थानीय लोगों ने कहा कि हेली सेवा ने उन्हें समय, सुरक्षा और सुविधा तीनों का उपहार दिया है। कई बुजुर्गों और ग्रामीणों ने इसे “धामी सरकार की ऐतिहासिक पहल” बताया। कुल मिलाकर कुमाऊं हेली सेवा उत्तराखंड के बदलते चेहरे की कहानी कह रही है जहां विकास अब पहाड़ों तक पहुंच चुका है, और उड़ान अब उम्मीद की बन चुकी है।

