

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर हेली सेवाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
केदारनाथ घाटी में क्यों बढ़ रहे हैं हेलीकॉप्टर हादसे?
लखनऊ: अभी उत्तर प्रदेश के अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश हादसे से लोग उभरे भी नहीं थे कि, फिर से बड़ा हादसा हो गया। बीते रविवार वाले दिन उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर ने अपना आपा खो दिया। जिसमे कई लोगों की मौत होने की खबर सामने आई थी। ऐसे में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर हेली सेवाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, रविवार तड़के हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे में सात लोगों की जान चली गई, जिनमें एक बच्ची और पायलट भी शामिल हैं। यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी की ओर जा रहा था, लेकिन गौरीकुंड के पास यह दुर्घटना हो गई।
इस दर्दनाक हादसे के बाद से केदारनाथ घाटी में चल रही हेली सेवाओं की तकनीकी और सुरक्षा तैयारियों को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है। बता दें कि मई में शुरू हुई चारधाम यात्रा के दौरान डेढ़ महीने में यह पांचवां हेलीकॉप्टर हादसा है। इनमें से दो हादसों में हेलीकॉप्टर पूरी तरह क्रैश हो गया और यात्रियों की जान गई, जबकि अन्य तीन मामलों में तकनीकी खराबियों के चलते इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी।
एक हादसे में केस्ट्रेल एविएशन के हेलीकॉप्टर को सड़क पर उतरना पड़ा, जिससे पायलट घायल हो गया। गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी घटनाएं केदारनाथ मार्ग पर ही हुईं, जहां मौसम पल-पल बदलता है और घाटियां बेहद संकरी हैं।
एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों की मुख्य वजह खराब मौसम और सुरक्षा मानकों की अनदेखी है। यहां के हेलीकॉप्टर बिना उचित रडार, मौसम पूर्वानुमान, या एयर ट्रैफिक कंट्रोल नेटवर्क के उड़ान भरते हैं। एक वरिष्ठ पायलट के अनुसार, केदारनाथ से गौरीकुंड तक की घाटी संकरी और खतरनाक है, जहां इमरजेंसी लैंडिंग की कोई जगह तक नहीं है।
एक अन्य पायलट ने बताया कि इस रूट पर हेलीकॉप्टर के लिए कोई तयशुदा उड़ान मार्ग भी नहीं है। ऐसे में हादसे रोकना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि जब तक सुरक्षा इंतज़ाम पूरे नहीं होते, इस रूट पर हेली सेवा को अस्थायी रूप से बंद कर देना चाहिए। हालांकि, लगातार तीर्थ यात्रियों की भीड़ और व्यावसायिक लालच के कारण इन सेवाओं को जारी रखा गया है, जो यात्रियों की जान के साथ एक बड़ा जोखिम है। सरकार और एविएशन विभाग को अब इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा।