

कैंची धाम में युवाओं की आस्था सबसे आगे है। नीम करौरी के दर पर देश विदेश से श्रद्धालु शीश झुका रहे हैं और बार-बार धाम की यात्रा कर रहे हैं। भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा भरी जिंदगी के बीच भी देश और विदेश से युवा बाबा नीम करौरी के दर पर शीश झुकाने पहुंच रहे हैं।
कैंची धाम
Haldwani: अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर स्थित कैंची धाम में रोजाना भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। खास बात यह है कि इस आस्था में सबसे आगे युवा पीढ़ी है। भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा भरी जिंदगी के बीच भी देश और विदेश से पंद्रह से तीस वर्ष की उम्र के युवा बाबा नीम करौरी के दर पर शीश झुकाने पहुंच रहे हैं।
धाम में किए जा रहे पंजीकरण और धारण क्षमता के सर्वे से पता चला है कि युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। दूर-दराज़ इलाकों से आने वाले भक्तों का कहना है कि उन्होंने इंटरनेट प्लेटफॉर्म के जरिए बाबा की जानकारी पाई और उसके बाद यात्रा करने का निर्णय लिया। कई भक्त एक बार नहीं बल्कि बार-बार बाबा के दर पर आना पसंद कर रहे हैं।
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जिला अर्थ और सांख्यिकी अधिकारी डॉ एमएस नेगी ने बताया कि प्रतिदिन लगभग पांच हजार श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं और उनमें करीब सत्तर प्रतिशत युवा हैं। युवाओं में बाबा नीम करौरी के प्रति यह गहरा आस्था का भाव आने वाले समय के लिए भी सुखद संकेत माना जा रहा है।
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सर्वे के दौरान श्रद्धालुओं से व्यवस्थाओं और सुविधाओं को बेहतर बनाने के सुझाव भी लिए गए हैं। ये सुझाव उच्च अधिकारियों तक पहुंचाए जाएंगे ताकि धाम में आने वाले भक्तों को और बेहतर अनुभव मिल सके।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित ‘कैंचीधाम’ आश्रम, जिसे नीम करोली बाबा ने 1960 के दशक में स्थापित किया था। हर साल 17 जून को आयोजित होने वाले मेले के लिए प्रसिद्ध है। यह आश्रम नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर भवाली से 9 किलोमीटर और नैनीताल से 17 किलोमीटर दूर स्थित है। इस धार्मिक स्थल पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद पाने आते हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो ना केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है। यह ‘कैंचीधाम’ आश्रम नीम करोली बाबा द्वारा 1960 के दशक में स्थापित किया गया था और तब से यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का प्रतीक बन गया है।