देहरादून में महिला के बैंक अकाउंट से 7 लाख की ठगी, OTP न देने के बावजूद हुआ बड़ा साइबर फ्रॉड

देहरादून में एक महिला के बैंक खाते से 7 लाख रुपये की ठगी और STF द्वारा 44 लाख के निवेश फ्रॉड में एक आरोपी की गिरफ्तारी से साइबर अपराध की गंभीरता उजागर होती है। पैसों की रिकवरी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 30 August 2025, 10:05 AM IST
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Dehradun: बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ-साथ साइबर अपराध के तरीकों में भी निरंतर बदलाव देखा जा रहा है। यह बदलाव न सिर्फ आम नागरिकों को चौंकाता है बल्कि पुलिस प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है।

7 लाख की ठगी, कोई OTP नहीं, कोई लिंक नहीं

देहरादून से सामने आए ताज़ा मामले में एक महिला के बैंक खाते से लगभग सात लाख रुपये की ठगी कर ली गई। हैरानी की बात यह है कि महिला का दावा है कि न तो उन्होंने किसी को OTP साझा किया, न किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक किया और न ही किसी कॉल का जवाब दिया, फिर भी उनके अकाउंट से इतनी बड़ी रकम गायब हो गई।

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पीड़ित महिला की बाइट

इस मामले ने न सिर्फ प्रशासन को चौकन्ना किया है, बल्कि आम जनता के बीच भी दहशत फैला दी है कि अगर बिना किसी गलती के भी खाता खाली हो सकता है, तो सुरक्षित रहने का उपाय क्या है?

STF की कार्रवाई, 44 लाख की धोखाधड़ी में गिरफ्तारी

अब बात एक दूसरे बड़े मामले की जहाँ उत्तराखंड STF ने निवेश के नाम पर 44 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह आरोपी लखनऊ निवासी है और करंट अकाउंट के ज़रिए फ़्रॉड की गई रकम को दो प्रतिशत कमीशन के बदले विदेशी खातों में ट्रांसफर करता था।

STF के अनुसार, यह आरोपी पिछले एक साल से इस गोरखधंधे में संलिप्त था और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए विदेशी साइबर अपराधियों से संपर्क में था।

रिकवरी का संकट- लाखों की ठगी, वापसी मुश्किल

हालांकि STF ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रिकवरी के नाम पर केवल एक अकाउंट फ्रीज़ किया जा सका जिसमें मात्र ₹54,000 थे। इसके अलावा आरोपी के पास से केवल आधार कार्ड, सिम कार्ड, मोबाइल और चेकबुक बरामद किए गए। अब सवाल यह है कि क्या 44 लाख की ठगी के बदले केवल 54 हजार की रिकवरी से न्याय हो पाएगा?

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पेंसे गायब, तकनीक पीछे

इन दोनों मामलों को देखा जाए, तो एक बात साफ है साइबर अपराध के मामलों में पैसे की रिकवरी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। ठगी के बाद अपराधी या तो क्रिप्टोकरेंसी का सहारा लेते हैं या हवाला नेटवर्क के ज़रिए पैसे विदेशों में ट्रांसफर कर देते हैं। इस स्थिति में पुलिस के पास फिलहाल कोई ऐसी तकनीक नहीं है जिससे वो ट्रांसफर किए गए पैसों को ट्रैक कर सके या रिकवर कर सके।

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  • Dehradun

Published : 
  • 30 August 2025, 10:05 AM IST