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Lakhimpur kheri: पानी की टंकी बनकर तैयार, लेकिन ग्रामीणों को नहीं मिला स्वच्छ जल, ग्रामीणों ने दी प्रदर्शन की चेतावनी

लखीमपुर खीरी में बनी पानी की टंकी होने के बाद भी स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
Post Published By: Tanya Chand
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Lakhimpur kheri: पानी की टंकी बनकर तैयार, लेकिन ग्रामीणों को नहीं मिला स्वच्छ जल, ग्रामीणों ने दी प्रदर्शन की चेतावनी

लखीमपुर खीरीः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने आसपास के क्षेत्र सनसनी फैला दी है। बता दें कि ग्राम पंचायत लालपुर में आठ वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से बनी ओवरहाइट पानी की टंकी आज तक ग्रामीणों को एक घूंट साफ पानी तक नहीं दे सकी। टंकी तो है, लेकिन पानी नहीं – और जिम्मेदार मौन हैं।

शोपीस बनी पानी की टंकी
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक, सरकारी योजनाओं के तहत बनाई गई यह टंकी आज शोपीस बनकर रह गई है। गांव के बुज़ुर्ग हों या बच्चे, आज भी लोगों को हैंडपंप या दूर-दराज के जल स्रोतों से पानी लाने को मजबूर होना पड़ता है।

टंकी को लेकर ग्रामीणों का बयान
गर्मियों में यह समस्या और भी विकराल हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि टंकी निर्माण के समय बड़े-बड़े दावे किए गए थे कि “हर घर नल, हर घर जल” का सपना साकार होगा, लेकिन यह सपना अब तक अधूरा है।

ग्रामीणों को मिलेगा कब स्वच्छ जल ?
गांव वालों का आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से टंकी निर्माण के बाद पाइपलाइन तो बिछाई गई, मगर लीकेज होने के बावजूद भी इसकी मरम्मत या संचालन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

ग्राम वासियों ने दी चेतावनी
पंचायत से लेकर ब्लॉक स्तर तक शिकायतें की गईं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिले। ग्रामीणों ने कई अधिकारियों के चक्कर भी लगा लिए हैं अब ग्राम वासियों का कहना है कि अगर जल्द ही टंकी से हमें स्वच्छ जल नहीं मिला तो हम जिला स्तर पर प्रदर्शन करेंगे

अन्य जिले का मामला
बेलसर विकासखंड के निहालपुर गांव में भी कुछ ऐसी ही घटना देखने को मिली है, जहां लोगों को स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है। बता दें कि ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से एक साल पहले पानी की टंकी बनाई थी, लेकिन वह अब बैकार हो गई है। ग्रामीणों के अनुसार, टंकी का निर्माण पूरा होने के बाद भी पेय जल की समस्या बनी हुई है। वर्तमान में गांव के लोग अभी भी पीने के पानी के लिए हैंडपंप पर निर्भर हैं। यह समस्या हर जिले के और हर गांव में है।

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