यूपी एसटीएफ की बड़ी कामयाबी: साइबर अपराधियों को 10 हजार से ज्यादा सिम देने वाले दबोचे, जानें पूरा मामला

ये अपराधी वोडाफोन आइडिया कंपनी के अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से हजारों सिम कार्ड एक्टिवेट कर साइबर अपराधियों को बेचते थे। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 19 June 2025, 6:59 PM IST
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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक बार फिर साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रयागराज के लालगोपालगंज थाना क्षेत्र से फर्जी सिम कार्ड गिरोह के दो वांछित और इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, ये अपराधी वोडाफोन आइडिया कंपनी के अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से हजारों सिम कार्ड एक्टिवेट कर साइबर अपराधियों को बेचते थे। गिरोह द्वारा डिजिटल अरेस्ट, स्टॉक मार्केट फ्रॉड और पार्सल स्कैम जैसे कई बड़े साइबर अपराधों को अंजाम देने में इन सिम कार्ड्स का उपयोग किया जाता था।

गिरोह के काम करने का तरीका

कि यह संगठित गिरोह वोडाफोन आइडिया कंपनी के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से पीओएस एजेंट बनाता था। जब ग्राहक सिम लेने आते थे तो उनके नाम पर दो सिम एक्टिवेट किए जाते थे, जिसमें से एक ग्राहक को दिया जाता था, और दूसरा खुद गिरोह के सदस्य अपने पास रख लेते थे। यही सिम कार्ड बाद में डिजिटल केवाईसी के जरिए दोबारा सक्रिय कर साइबर अपराधों में उपयोग किए जाते थे। इसके अलावा फर्जी आधार कार्ड का भी उपयोग कर सैकड़ों सिम कार्ड अवैध रूप से एक्टिवेट किए जाते थे। ये सिम कार्ड फिर 200-300 रुपए प्रति कार्ड की दर से साइबर क्राइम गिरोहों को बेचे जाते थे।

कैसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

इस गिरोह के खिलाफ STF को लगातार शिकायतें मिल रही थी। बीते 15 मई 2025 को STF ने इस गिरोह के सरगना समेत 6 लोगों को चित्रकूट के राजापुर से गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान संदीप पाण्डेय का नाम सामने आया। जिसके खिलाफ 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था।

विक्रम सिंह के नेतृत्व में बदमाशों को दबोचा

इसके बाद STF की साइबर टीम ने STF के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। मुखबिर और तकनीकी निगरानी के माध्यम से गिरोह की जानकारी एकत्र की गई। जिसके बाद 18 जून को संदीप पाण्डेय और नौफील को प्रयागराज के नवाबगंज इलाके से गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार अपराधियों की कबूलनामे से हुए बड़े खुलासे

संदीप पाण्डेय ने बताया कि उसने वर्ष 2017 में एक मोबाइल रीचार्ज कंपनी में नौकरी की थी, जहां से उसकी पहचान नौफील से हुई। वर्ष 2020 में उसे शिवदयाल नामक व्यक्ति ने संपर्क कर बताया कि उसके पास सैकड़ों प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड हैं, जिन्हें वह ऊंचे दामों में बेच सकता है। इसके बाद संदीप और नौफील ने एक नेटवर्क खड़ा किया। इन सिम कार्ड्स को कई साइबर गिरोहों को बेचना शुरू किया। नौफील ने बताया कि उसने सिहान शेख नामक व्यक्ति को इन सिम कार्ड्स को 250 रुपये प्रति सिम के हिसाब से बेचा। सिहान वर्तमान में मुंबई में रह रहा है और माना जा रहा है कि वह भी इस नेटवर्क का अहम हिस्सा है।

गिरोह की अब तक की गतिविधियां

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि यह गिरोह पिछले 2-3 वर्षों में करीब 10,000 से अधिक सिम कार्ड अवैध रूप से एक्टिवेट कर चुका है। ये सिम कार्ड साइबर ठगी के मामलों में प्रयुक्त होते रहे हैं। इस गिरोह का संबंध डिजिटल अरेस्ट, पार्सल स्कैम, शेयर बाजार धोखाधड़ी और अन्य साइबर अपराधों से जुड़ा है।

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